नागपुर. जाली बिल जारी कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने का एक और बड़ा मामला सामने आया है. डीजीजीआई ने इस बार बीडगांव रोड स्थित राजा सीमेंट हाउस के संचालक राजा अशोक अग्रवाल को गुरुवार को गिरफ्तार कर प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी (जेएमएफसी) कोर्ट के समक्ष पेश किया, जिसे 27 फरवरी तक न्यायिक हिरासत मिली.
डीजीजीआई के अनुसार राजा अग्रवाल ने लगभग 115 करोड़ रुपये के जाली बिल जारी किए थे. इन लोगों ने जाली फर्मों की सहायता से 10.44 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी उठा लिया है. सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों डीजीजीआई ने 5 कबाड़ व्यापारियों पर छापेमारी की थी, जिसमें 108 करोड़ रुपये के जाली बिल का पर्दाफाश हुआ था. इनमें से एक बाबा एंटरप्राइजेज का था, जिसका संचालक रामप्रकाश बोरकर था. बोरकर ने जाली बिल जारी कर सरकार को 4.66 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का चपत लगाया था. यहीं से मिले दस्तवेजों के आधार पर डीजीजीआई के अधिकारियों ने राजा सीमेंट हाउस के जरिए कारोबार होने का लिंक लगाया. जांच के दौरान शक पुख्ता हो गया है, जिसके बाद राजा सीमेंट पर कार्रवाई की गई.
लुधियाना में एक भी कार्यालय नहीं
डीजीजीआई के अधिकारियों को राजा सीमेंट में छापेमारी के दौरान जो दस्तावेज मिले, उससे पता चला कि संचालक लुधियाना के एक ही पते पर 5 कंपनियों का संचालन कर रहा था. इन कंपनियों के नाम पर बिल जारी किए जाते थे. सभी का पता एक ही था. जब डीजीजीआई के अधिकारी छापेमारी करने पहुंचे, तो पता चला कि वहां पर एक भी कंपनी वास्तविकता में कार्य नहीं कर रही है. सभी के सभी फर्म महज कागजों पर ही संचालित की जा रही है.
न माल आता है और न जाता
सभी मामलों में यही खुलासा हुआ है कि लोग केवल कागजों पर करोड़ों-अरबों रुपये का कारोबार कर रहे हैं. न तो कोई माल बनता है और न ही बेचा जाता है. कागजी प्रक्रिया को मजबूत कर ये लोग सरकार को चूना लगाने का काम कर रहे हैं. कड़ी पूछताछ के दौरान अग्रवाल ने भी मान लिया है कि वह गलत तरीके से कारोबार कर सरकार को चूना लगा रहा था.