– फीडर सर्विस के लिए ‘आपली बस’ बेड़े की 18 मिनी और 1 इलेक्ट्रिक बस देने में कर रहा आनाकानी
नागपुर : निःसंदेह नागपुर महानगरपालिका की ‘आपली बस’ दुनिया की सार्वजानिक परिवहन सेवा की भांति घाटे में दौड़ रही और ऊपर से कोरोना महामारी में इस महत्वपूर्ण सेवा पूर्णतः लड़खड़ा गई थी.जैसे-तैसे फिर से मनपा परिवहन सेवा पटरी पर आने लगी तो मनपा परिवहन की तरफ से परिवहन सेवा संचलन करने वाली कंपनी DIMTS ने नई-नई हरकत कर मनपा को आर्थिक नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रही.वह ऐसे कि नागपुर मेट्रो रेल प्रबंधन ने मेट्रो स्टेशन से FEEDER SERVICE के लिए मनपा से 8 मिनी बसों की मांग कि तो DIMTS नाना प्रकार के अड़चनें निर्माण कर रहा,जबकि मेट्रो प्रबंधन प्रति बस प्रति दिन 3500 रूपए और 1 ELECTRIC BUS के लिए 4500 प्रति दिन देने का OFFER दे चुकी हैं.
कोरोना काल में ‘आपली बस’ पूर्णतः बंद रखी गई.सिर्फ जिला/विभागीय और मनपा प्रशासन के कामों के लिए कुछेक बसें शुरू थी.इस चक्कर में ड्राइवर और कन्डक्टरों को बिना वेतन के घर बैठना पड़ा.जबकि ‘आपली बस’ ऑपरेटरों के साथ हुए करार के अनुसार खड़ी बसों के एवज में उन्हें 25% भुगतान करना अनिवार्य था.इस सवाल पर ऑपरेटरों और मनपा प्रशासन की राय अलद-अलग मिली।
कोरोना काल के नरम होने के बाद चौतरफा दबाव के बाद मनपा प्रशासन ने धीरे-धीरे कर आज की हालात में 250 बसों को चला रही.अभी भी 80-85 बसें खड़ी हैं.आज की हालात में जितनी भी बसें चल रही,उनपर होने वाली खर्च का आधा ही आवक हो पा रहा.क्यूंकि यह नागरिकों के जरुरी सेवा में से एक हैं इसलिए सम्पूर्ण दुनिया में सार्वजानिक परिवहन सेवा अमूमन घाटे में चल रही हैं.
मनपा प्रशासन का भी गजब कारोबार हैं,बसों की मलिकी मनपा की और तवज्जों परिवहन सेवा संभालने वाली DIMTS को दी जा रही ,नतीजा DIMTS प्रबंधन सर चढ़ के बोलना शुरू कर दिया।जबकि डिम्ट्स को यात्री बढ़ाने की प्रमुख जिम्मेदारी दी गई हैं,DIMTS तो करार के अनुरूप काम भी शुरू से नहीं कर रहा लेकिन परिवहन विभाग के कामों में टांग जरूर नियमित अड़ाते देखा जा रहा.
मेट्रो के ऑफर क्रमांक 1 ( एक इलेक्ट्रिक बस ) से मनपा को मासिक लगभग 135000 रूपए और ऑफर क्रमांक 2 ( 18 मिनी बसों ) से मासिक 1890000 रूपए की आय होंगी। सिर्फ मेट्रो से मनपा परिवहन विभाग को सालाना ढाई करोड़ रूपए प्राप्त होंगे,इसके साथ बसों की दशा भी सही रहेंगी,सालाना मरम्मत खर्च भी आज के बनस्पत अल्प रहेंगा।
उक्त मुनाफे के सौदे पर न मनपा प्रशासन गंभीर और न ही DIMTS. मनपा प्रशासन एक तरफ आर्थिक संकट का रोना रो रही तो दूसरी तरफ आय के साधन मुहैय्या करवाने वाले मेट्रो प्रबंधन को वक़्त पर जवाब नहीं दे रही.इन दिनों उक्त मुद्दे को लेकर मनपा प्रशासन और DIMTS के मध्य लेटरबम फेंकना शुरू हैं.
समय रहते मनपा प्रशासन ने मेट्रो के ऑफर को नहीं स्वीकारा तो मेट्रो अन्य पर्याय व्यवस्था पर भी विचार कर रही ?