नागपुर: नागपुर शहर के मेट्रो रीजन के जारी प्लान को लेकर अब भी विवाद जारी है। भारी विरोध के चलते बेल्लारी से डम्पिंग यार्ड को हटा लिया गया है लेकिन इसे जहाँ हस्तांतरित किया गया है उस स्थान को लेकर भी विरोध जताया जा रहा है। दरअसल हालही में पांच जनवरी को राज्य सरकार द्वारा जारी मेट्रो रीजन के प्लान में डम्पिंग यार्ड के लिए बुटीबोरी में जगह निर्धारित की गई है जिसे लेकर भी विरोध दर्ज कराया जा रहा है। वर्ष 2010 में सबसे पहले नागपुर मेट्रो रीजन का प्लान आया था जिसके खिलाफ जय जवान जय किसान संगठन ने अपना तीव्र विरोध जताया था। जनता के आक्रोश के चलते सरकार द्वारा सुधारित प्लान फिर से जारी किया गया लेकिन डम्पिंग यार्ड को लेकर संगठन की शिकायत अब भी बरकरार है। संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार के अनुसार डम्पिंग यार्ड को बुटीबोरी में बनाया जाना नियम के खिलाफ है। उड्डयन मंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए पवार ने बताया की एयरपोर्ट के आसपास 25 किलोमीटर के दायरे में डम्पिंग यार्ड का निर्माण ही नहीं किया जा सकता। इसके अलावा जिस जगह डम्पिंगयार्ड के लिए जगह सुनिश्चित की गई है अगर वहाँ इसे स्थापित कर दिया जाता है तो इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। बुटीबोरी से ही वीणा नदी बहती है अगर इसके पास ही डम्पिंग यार्ड बनाया जाता है तो इससे नदी के अस्तित्व पर खतरा निर्माण हो जायेगा। इसके अलावा बुटीबोरी में राज्य सरकार का फाइव स्टार औद्योगिक क्षेत्र और बीएसएफ का बेस कैम्प है जिससे इसका असर वहाँ स्थापित उद्योगों पर पड़ेगा। पवार ने डम्पिंग यार्ड को इस जगह से कही और शिफ्ट करने की माँग की है।
मेट्रो रीजन प्लान तैयार करने के नाम पर एनआइटी अधिकारी डकार गए जनता के 12 करोड़
नागपुर शहर का मेट्रो रीजन प्लान तैयार करने के लिए वर्ष 2013 में हेल्क्रो कंसल्टेंट कंपनी को नियुक्त किया गया। इस कंपनी ने वर्ष 2015 में अपना प्लान एनआइटी को सौपा। इस प्लान को किस आधार पर तैयार किया गया इसकी जानकारी किसी के पास नहीं। इस काम के लिए जनता द्वारा एनआइटी में विकास के लिए जमा कराए 12 करोड़ रूपए की फ़ीस सौपी गई। जय जवान जय किसान संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार का दावा है की प्लान एनआइटी के अधिकारिओ ने ही जनता की मदत से तैयार किया। कंसल्टेंट की नियुक्ति के नाम पर एनआइटी में करोडो का भ्रस्टाचार हुआ है जिसकी जाँच होनी चाहिए।
राज्य सरकार ख़त्म कर रही संविधान
प्रशांत पवार ने बीजेपी सरकार पर देश का संविधान धीरे धीरे ख़त्म करने का आरोप लगाया। मेट्रो रीजन प्लान का हवाला देते हुए पवार ने बताया की नागपुर में दो विकास एजेंसिया एमएनसी और एनआइटी थी। शहर में एक एजेंसी रहे इसलिए बर्खास्त किया जा चुका है। लेकिन ठीक इसी तरह ग्रामीण भाग में नगर पंचायत और जिला परिषद ये दोनों भी विकास एजेंसिया है मेट्रो रीजन प्लान में ग्रामीण भाग भी शामिल है। ऐसे में आने वाले समय में ग्रामीण भागों विकास एजेंसियों का काम ही क्या रह जाएगा। दो एजेंसियों का हवाला देकर सरकार क्या भविष्य में ग्रामीण भाग में भी एक एजेंसी को समाप्त कर देगी। पंचायती राज व्यवस्था संविधान के अनुरूप है। इस तरह के काम से सरकार संविधान को ही ख़त्म करने का काम कर रही है। इससे पहले सरकार से कमर्शियल और रेसिडेंशियल जोन अपने हिसाब से तय कर दिया था जिसका असर लाखो लोगो पर होता लेकिन हमारे आंदोलन की वजह से सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा यह बड़ी जीत है।