Published On : Sun, Apr 18th, 2021

प्रकृति शोषण नहीं करें, प्राकृतिक जीवन जियें- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी

नागपुर : प्रकृति का शोषण नहीं करें, प्राकृतिक जीवन जियें यह उदबोधन दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने विश्व शांति अमृत वर्धमानोत्सव के अंतर्गत श्री. धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन समारोह में दिया.

गुरूदेव ने कहा विश्व शांति अणुबमों से नहीं, अणुव्रतों से हो सकती हैं. छोटे छोटे बदलाव जीवन को सुंदर बनाते हैं. बारिश आये तो बारिश का आनंद लीजिए, सर्दी आये तो सर्दी का आनंद लीजिए, गर्मी आये तो गर्मी का आनंद लीजिए. कोरोना के नियमों का पालन करें. बीमारी आये तो छिपाये नहीं, टेस्ट अवश्य करें. यमराज से बड़ा वैद्यराज हैं. सत्य को अपनाएं, अहिंसा को अपनाएं, अचौर्य को अपनाएं, अपने कर्तव्य का इमानदारी से पालन करें. भाव की हिंसा छोड़ें, अपने मनोबल को बनाकर रखें.

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महावीर का शासन अनुशासन हैं- आज्ञासागरजी मुनिराज
श्री. आज्ञासागरजी मुनिराज ने धर्मसभा में कहा भक्ति मुक्ति का कारण हैं. भगवान महावीर का सार्वभौमिक शासन हैं, सरभौमिक तीर्थ हैं, सर्वोदय तीर्थ हैं. भगवान महावीर ने किसी व्यक्ति को, जाती विशेष को स्थान नहीं दिया. सभी प्राणीमात्र के लिये दया का भाव दिया. आज वर्तमान में महावीर को माननेवाले बहुत मिलेंगे, महावीर को जाननेवाले बहुत कम हैं और महावीर बननेवाले बहुत कम हैं. भगवान महावीर ने जीवमात्र के कल्याण के लिये उपदेश दिया हैं. महावीर कहते हैं मंदिर बनाना भी धर्म हैं, जीर्णोद्धार करना भी धर्म हैं, पूजा पाठ करना भी धर्म हैं, आहार दान देना भी धर्म हैं. सेवा करना भी धर्म हैं. धर्म का सार जीवदया भी धर्म हैं. धर्म तो धर्म हैं, धर्म अलग नहीं हैं. हम कर्म से मुक्त होने के लिये, आपत्ति से मुक्त होने के लिये धर्म का सार हैं. महावीर का आत्मानुशासन दया, प्रेम, करुणा, सेवा, परोपकार ऐसा पंचसूत्र हैं, पंचव्रत हैं.

अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह यह भगवान महावीर का सिद्धांत सत्य हैं. हिंसा, प्रकृति, विकृति दिखा रही हैं. प्रकृति रूप लेती हैं तो प्रकृति संतुलन बनाने के लिये रूप लेती हैं तो प्रकृति बदलाव लेती हैं. कोरोना प्रकृति जीव हिंसा का नतीजा हैं. समस्त जीव की संसार में रक्षा होगी. भगवान महावीर का अहिंसा का सिद्धांत आत्मसात करना पड़ेगा. धरती बचेगी तो संसार बचेगा. अहिंसा को जीवन में अपना कर जो भुखमरी, भूकंप, चक्रवात हो रहा हैं उससे बच सकते हैं, इससे विश्व में शांति होगी. सत्य का साक्षात्कार कर सकते हैं.

कोरोना होने पर व्यक्ति सत्य नहीं बोलता, रोग होने पर चुप रहता हैं, दूसरों को फैलता हैं. कर्तव्य के बिना कुछ भी प्राप्त कर लेते हैं, चोरी करते हैं, भाव प्रदूषण हैं. लूटपाट, धोखाधड़ी से बचने के लिये अचौर्य का पालन करना चाहिए. जनसंख्या का विस्फोट हैं इसलिए महावीर ने ब्रह्मचर्य का उपदेश दिया हैं. ब्रह्मचर्य को अपनाकर जनसंख्या विस्फोट को बचा सकते हैं. अपरिग्रह अपनाकर संतोषमय जीवन अपना सकते हैं. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया.

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