हरिद्वार: केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह के बयान पर मंगलवार को विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अंतिम संस्कार के बाद राख और पूजा के फूलों को गंगा में प्रवाहित न करें। हिंदू संगठनों से जुड़े हुए नेता और कार्यकर्ता इसी पर भड़क गए हैं। बता दें कि हिंदू परंपरा में गंगा को बेहद पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को (राख) गंगा में प्रवाहित किया जाता है।
उत्तराखंड के हरिद्वार में मंत्री नमामि गंगा मिशन के 34 प्रोजेक्ट्स के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद उन्होंने कहा, “लोगों की अपनी मान्यताएं है। लेकिन यह आज के समय की मांग है। हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए, जिससे कि गंगा की पवित्रता को प्रभाव पड़े।” मंत्री ने आगे बताया, “वर्तमान स्थिति के मुताबिक, मैं सभी से अपील करूंगा कि राख को जमीन में दफ्न किया जाए और फिर उस पर पौधे लगाए जाने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें (गुजर चुके लोगों को) याद रखें।
उनके मुताबिक, “गंगा में पुरखों की राख के साथ फूल और पूजा का सामान प्रवाहित करना भी जरूरी नहीं है।” यही नहीं, मंत्री ने सभी पुजारियों से इस बाबत लोगों को जागरूक करने की अपील भी की। जबकि, हिंदू संगठन के नेता और कार्यकर्ता केंद्रीय राज्य मंत्री की इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। वे उनके इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं।
श्री गंगा सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि गंगा में यह परंपरा सालों से चली आ रही है। उन्होंने आगे कहा, “भारतीय संस्कृति या गंगा नदी पर लोगों का अटूट विश्वास अभी से नहीं है। न ही पवित्र नदी में लोगों की अस्थियां विसर्जित करने की परंपरा नई है।” वहीं, अखाड़ा परिषद के मुखिया आचार्य नरेंद्र गिरी ने केंद्रीय राज्य मंत्री के बयान की निंदा की। उन्होंने कहा कि सिंह को हिंदू परंपराओं के बारे में नहीं पता है। ऐसा बयान सिर्फ वही दे सकता है, जिसे सनातन धर्म के बारे में कुछ पता नहीं होता।”