नागपुर: कुछ दिनों बाद गणपति बाप्पा का आगमन होने वाला है। अतः पर्यावरण के दृष्टीकोण से और जल प्रदूषण रोकने के लिए सभी नागरिकों से मनपा प्रशासन आवाहन कर रही है कि वे पीओपी से बनी गणेश मूर्तियों का इस्तेमाल न करें। पीओपी मूर्तियों की कई खामियां होती हैं। पीओपी पानी में मिलता नहीं है। अतः पीओपी से बानी मूर्तियां शहर के तमाम कुएं और तालाबों के निचले हिस्सों में रह जाती हैं।
इसके चलते जल प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। इसके अलावा पीओपी मूर्तियों में मौजूद रासायनिक पदार्थों से जल प्रदूषित होता है और यह रासायनिक पदार्थ पानी में रहने वाले जीवों एवं मछलियों के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इसके अलावा केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण मंडल द्वारा 12 मई 2020 को जारी की गई नियमावली के अनुसार प्लास्टर ऑफ पॅरिस की मूर्तियों का इस्तेमाल करने और उन्हें खरीदने तथा बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। अतः पीओपी मूर्तियों को न खरीदें और न बेचें।
कोरोना की दूसरी लहर का असर तो कम ज़रूर हो रहा है, लेकिन फिर भी संभावित तीसरी लहर का खतरा अब भी मंडरा रहा है। अतः राज्य सरकार ने गणेशोत्सव मनाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
गणेश की घरेलू मूर्तियां 2 फीट और सार्वजनिक मंडलों में इस्तेमाल होने वाले मूर्तियों की ऊंचाई 4 फीट से ज़्यादा नहीं होगी। कोरोना संक्रमण की संभावना के मद्देनज़र गणेशोत्सव का त्योहार सादगी से मनाने की अपील प्रशासनिक अधिकारियों ने की है। गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में करने और मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की स्थापना करने का आवाहन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग के निदेशक एवं मनपा उपयुक्त राजेश भगत ने किया है।