नागपुर: शिवसेना की ओर से कई सप्ताह पहले अपनी मांगों को लेकर आंदोलन के साथ हड़ताल करने की चेतावनी दी गई थी। जिसे परिवहन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण बीते दो दिनों से शहर के 2 लाख यात्री खास तौर से बुधवार से शुरू हुई 12 वीं कक्षा की परीक्षा परीक्षार्थियों को अपने परीक्षा स्थल तक पहुंचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
परीक्षार्थियों के लिए पर्यायी व्यवस्था करने वाले लाल बस ऑपरेटरों ने लगभग 50 बस चालकों के साथ अन्य कर्मियों की सहायता से परीक्षा स्थल मार्गों पर सेवाएं दीं। दूसरी ओर परिवहन विभाग हाथ पर हाथ धरे कागजी घोड़े दौड़ाने में लीन रहा। मनपा की ओर से परिवहन व्यवस्था संचालन करने वाली डिम्ट्स पूरे मामले से कोसों दूर खड़ा रहा। जब इस सवाल पर सभापति ने परिवहन विभाग पर कड़क कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री, महापौर और आयुक्त से सिफारिश करने की बात कही। वहीं परिवहन व्यवस्थापक ने विभाग से संबंधित सभी ऑपरेटरों पर नुकसान भरपाई के लिए पहल करने की जानकारी दी। आज हुए नुकसान की जानकारी देते हुए जगताप ने बताया कि सवा लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
इस नुकसान की वसूली सभी ‘स्टेक होल्डरों’ से की जाएगी। जगताप के बयान से यह साफ हो गया है कि भले ही सभी ठेकेदारों को कई महीनों से मासिक भुगतान न किया जा रहा हो लेकिन उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए तत्परता दिखाई जा रही है। उनकी कार्यशैली की गुणवत्ता प्रदर्शित की जा रही है। जबकि दो माह पूर्व परिवहन सभापति ने आपातकालीन परिस्थितियों के लिए 100 अतिरिक्त बस चालकों की फौज खड़ी करने का निर्देश परिवहन विभाग को दिया था। सभापति तो विभाग व्यवस्थापक से इतने तंग आए बताए जा रहे हैं कि वे किसी भी निर्देशों का पालन नहीं करते। सभागृह में भी उपस्थितों का इस मामले की ओर सबका ध्यानाकर्षण करवा चुके हैं। लेकिन प्रशासन व सत्तापक्ष की शह पर आज भी उनको सिर पर बिठा कर रखा जाना समझ से परे है। जबकि दो बार जगताप मनपा से मुक्ति की मांग चुके हैं।
उल्लेखनीय यह है कि बुधवार को सभापति बंटी कुकड़े ने उक्त सभी परीक्षार्थियों व यात्रियों से हड़ताल के कारण हुई दिक्कतों के लिए माफ़ी मांगी है। सरकार द्वारा आंदोलनकारियों पर ‘एस्मा’ लगाने का आदेश मिलने के बाद भी पुलिस विभाग की निष्क्रियता पर रोष व्यक्त किया। इस मामले में उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को वस्तुस्थिति से आज दोपहर अवगत भी कराया।
सभापति ने जानकारी दी कि आंदोलनकारी सभी 18 नेतृत्वकर्ताओं को नौकरी से निकाल दिया गया है। आंदोलन के नेतृत्वकर्ता बंडू तलवेकर अवैध रूप से हड़ताल कर न सिर्फ नागपुर वासियों को परेशान कर रहें हैं बल्कि शिवसेना को भी बदनाम कर रहे हैं। लेकिन माना यह जा रहा है कि अगर शिवसेना का इस अवैध आंदोलन को समर्थन नहीं मिला है तो वे तलवेकर पर कड़क कार्रवाई करें। वे नगरसेवक न रहते हुए नगरसेवक लिख जनता को भ्रमित कर रहे हैं।