Published On : Mon, Jul 10th, 2017

रोजगार के अवसर कम होने से ह्यूमेनिटीज़ विषय की ओर घटा रुझान

Advertisement

Nagpur University
नागपुर: राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कैंपस में पोस्ट ग्रेजुएशन विभाग में ह्यूमेनिटीज़ विषय के 1 हजार 130 सीटों के लिए केवल 480 आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें से कई विषय तो ऐसे है जिसमें 4, या फिर केवल 3 विद्यार्थियों ने ही एडमिशन लिया है. जबकि सबसे ज़्यादा विद्यार्थी विज्ञान विषय को प्रार्थमिकता दे रहे हैं.

लेकिन एडिशन को लेकर विद्यार्थियों का यह पैटर्न नया नहीं. हर वर्ष इसी तरह ह्यूमेनिटीज़ विषय में प्रवेश लेने वालों का अकाल पड़ा होता है. ह्यूमेनिटीज़ में करीब 22 विभिन्न विषयों में 2 वर्ष का पाठ्यक्रम होता है.

आखिर क्यों हो रहा है ह्यूमेनिटीज़ में एडमिशन कम
विज्ञान को लेकर विद्यार्थियों में प्रतियोगिता होती है. विज्ञान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त है. लेकिन ह्यूमेनिटीज़ को लेकर रोजगार के अवसर कम हैं. इन विषयों को लेनेवाले ज्यादातर विद्यार्थी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं. इनमें कई विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो साल खराब न हो इस उद्देश्य ही एडमिशन लेते हैं. मुख्य रूप से रोजगार की संभावनाए न के बराबर होने की वजह से विद्यार्थी इन विषयों में एडमिशन नहीं लेते हैं.

Gold Rate
Wednesday 19 March 2025
Gold 24 KT 88,900 /-
Gold 22 KT 82,700 /-
Silver / Kg 101,100 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

कहां हो रही है कमी
नागपुर विश्वविद्यालय और राज्य सरकार दोनों ही इसके लिए बराबर के जिम्मेदार माने जा रहे हैं. विद्यार्थियों को अवसर देने को लेकर कोई अत्याधुनिक पहल नहीं किए जाने से है. इन विषयों की कैरियर के रूप में संभावनाओं का प्रचार भी नहीं किया जाता. कई बार तो इन विभागों के प्राध्यापकों की ओर से ही विद्यार्थियों के प्रवेश लेने के बाद उन्हें रोजगार नहीं होने की बात कहते और हतोत्साहित करने की सूचनाएं सामने आ चुका है. जिसके कारण कई विद्यार्थी निराश हो जाते हैं. तो वहीं राज्य सरकार की ओर से इन विषयों को लेकर रोजगार के अवसर निर्माण कराने लिए कोई भी बड़ा प्रयत्न नहीं किया जाता. इन विषयों को लेकर ना ही कोई मार्गदर्शन शिबिर का आयोजन किया जाता है.

रहा देखनी पड़ती है नौकरियों की
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके स्नेहल वाघमारे ने बताया कि ह्यूमेनिटीज़ को लेकर विद्यार्थियों का रुझान कम होना स्वाभाविक है. विद्यार्थियों को पता है कि इसमें से किसी भी विषय को दो साल में पूरा करने पर भी नौकरी की कोई भी गारंटी नहीं है. जिसके कारण विद्यार्थी इन विषयों में एडमिशन लेने से बेहतर एमपीएससी की परीक्षा की पढ़ाई करना पसंद करते हैं. कहीं न कहीं विद्यार्थियों को शिक्षा के नाम पर विश्वविद्यालय की ओर से केवल डिग्री प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है.

Advertisement
Advertisement