सावनेर : महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश के रेती घाटों का पिछले साल से ठेका हो चुका है।लेकिन नागपुर शहर के सावनेर पारशिवनी के रेती घाटों का विगत कुछ वर्षों से रेती का आपसी राजनीति मतभेद के चलते और रेत माफियाओं के चलते रेती घाटों का ठेका नही हो पा रहा है।जिसके कारण सावनेर शहर के हजारों मजदूर बेरोजगार ,लोकल ट्रांसफर,बेरोजगार हो गए।क्यूंकि दुगने तिगने दाम पर रेत खरीदना आम लोगो के आसान नही है।जिसके चलते कई मकान निर्माताओं ने अपने मकान के निर्माण कार्य रोक दिए गए है। भंडारा से और मध्यप्रदेश से आने वाली रेत के दाम ज्यादा होने के कारण आम लोगो के लिए रेत खरीदना आसान नही है।
कुछ माह पूर्व महागठबंधन की काग्रेस की सरकार बदलकर भाजपा की सरकार बनते ही भाजपा की और से प्रशासन, जिलाधिकारी,पोलिस आयुक्त,पोलिस अधीक्षक,उपविभागिए अधिकारी,सावनेर तहसील दार,आदि अधिकारियों को जिले में चल रहे अवैध रेत मुरूम चोरी पर शक्त कारवाही करने के निर्देश दिए गए।जो की स्वाभाविक भी है। जिसके चलते रेत माफियाओं द्वारा फर्जी रॉयल्टी फर्जी etp के सहारे रेत उत्खनन कर यातायात की जा रहा थी जिससे प्रशासन को करोड़ों रुपयों का चूना लगा। कुछ ही दिनों पहले रेत माफिया नरेंद्र पिपले के बंगले में एसआईटी के तहत छापा मारा गया।
जिसमे,एक डायरी और कुछ दस्तावेज मिले जिसमे, 746 करोड़ का रेत घोटाला सामने आया। जो कि राजस्व का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ । रेत माफियाओं द्वारा किया गया।उसी के तहत पाटनसावंगी के रेत माफिया गुड्डू खोरगड़े के कार्यालय में 27 अक्तूबर को छापा मारा गया। वहां से रेत मामले से जुड़े दस्तावेज व कंप्यूटर जप्त किए गए। गुड्डू खोरगड़े ओर नरेंद्र पिपले ये दोनो रेत माफिया में अहम भूमिका निभाते थे।गुड्डू खोरगड़े को हिरासत में लेने के तुरंत उसे तीन तीन दिन के पोलिस रिमांड पर लिया गया।गुड्डू खोरगड़े का रिमांड खत्म होने के बाद उसे तुरंत बाद ,सेंट्रल जेल भेज दिया गया। हाल ही में गुड्डू को 8अक्टोबर सोमवार के दिन जमानत मिल गई थी।लेकिन मंगलवार सुबह जेल से निकले ही गुड्डू को क्राइम ब्रांच के एमपीडीए लगा कर उसे फिर से हिरासत में ले लिया गया।जिससे की रेत माफियाओं में भय का माहौल छाया हुआ है।सब बड़े रेत माफिया जो की जमानत लेकर फिलाल जेल से बाहर है।वे भी सब डरे हुए है।
जनता ने रोके मकान आवाशो के निर्माण कार्य मकान के निर्माण कार्य बंद पड़े
नागपुर में रेत माफियाओं को लेकर गहरी राजनीति चल रही है।राजनीति के चलते सावनेर तहसील के रेती घाटों का ठेका नही हो पा रहा।जिसके कारण मकान के निर्माण कार्य बंद पड़े हुए है। भंडारा व मध्यप्रदेश से बहुत ही कम प्रमाण पर रेती आ रही है।और आ भी ही रही है, तो रेती के दाम दुगने तिगने होने के कारण आम लोगों को रेत खरीदना मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण आम आदमी रेती लेने में असमर्थ है।सावनेर नागपुर, जिले से भंडारा करीबन 300 से 325 किलो मि का सफर तय करना होता है, जो एक ट्रांसफर के लिए बहुत लबी दूरी तय करना होता है। जो ,की नागपुर सावनेर शहर में 400 फिट डोजर (ट्रक )की कीमत 27 हजार से 28 हजार तक है।जो की आम जनता के लिए बहुत ही ज्यादा है।हर कोई इतने ज्यादा धाम पर 400 फीट का डोजर (ट्रक)नही ले सकता।इश्का सीधा असर मकान निर्माताओं के जेब पर पड रहा है।मकान बनाने वाले मकान निर्माताओं ने मकान के काम रोक दिए गए हैं। जिससे की बहुत से मजदूर बे रोजगार हो गए हैं।
राजनीति के चलते व्यवसायियों का धंधा हुआ चौपट सब के सब व्यवसायियो के पूर्ण रूप से धंधे हुए बेकार
मकान और रेत से संबंधित लगने वाली आदि सभी चीजो का काम बंद हो चुका है।सभी व्यापारियों के धंधे चौपट हो चुके है।रेत से संबंधित सभी चीजें मार्केट में है। रेती से ही सभी को रोजगार मिलता है।जैसे लोहा सीमेंट गिट्टी वीटा आदि मकान में लगने वाली लोहे की ग्रिला,सीमेंट की ग्रीला , फर्नीचर नल फिटिंग ,टाइल्स , दीवाल में लगने वाली पुटिंग पेंट इत्यादि बहुत से प्रकार की चीजें जो,कि रेत से संबंधित मकान में लगने वाली वस्तु की विक्री कम सी हो गई है, यह सभी वस्तु मार्केट में बैठे व्यापारियों की दुकानदारों की दुकानों से ले जाया करते हैं वस्तु की बिक्री ना होने के सावनेर और आस पास के कारण सभी दुकानदार व व्यापारियों के धंधे पूर्ण रूप से चौपट हो चुके हैं। और इसका सीधा असर मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।जिससे की बहुत से लोग बेरोजगार हो चुके है।
सावनेर राजनीति के चलते रेत घाट न होने पर हजारों मजदूर घर बैठने पर मजबूर
रेत महंगी होने के कारण बहुतांश लोगो ने मकान के निर्माण कार्य रोक दिए गए है। जिसके कारण सावनेर शहर के और आस पास के गावों के हजारों मजदूर घर पर बैठने को मजबूर हो गय है।कई हजारों लोगो के घर का चूल्हा नही जल पा रहा है।क्यूंकि रोजगार का बहुत सा वर्ग रेती से सबंधित रोजगार से जुड़ा हुआ होता है। पर गरीब वर्ग करे भी तो क्या करे जब राजनीति करने वाले नेता बड़ी-बड़ी बातें कर गरीब लोगों को आश्वासन देते हैं,कि हमारी सरकार गरीबों की सरकार है। पर हो कुछ और रहा है। सरकार को मजदूर की गरीबी का ख्याल तो नहीं है बस अपनी राजनीति के चलते गरीबों की बेबसी का फायदा उठाकर राजनीति चलाते जा रहे है।
राजनीति के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हो गए सावनेर के छोटे ट्रेक्टर ट्रांसफर। सावनेर में राजनीति इतनी गहरी चल रही है,की किसी भी राजनेता को छोटे व्यवसाय करने वाले ट्रांसफरो की चिंता ही नही है। छोटे छोटे ट्रांसफर लोगो का कहना है। की जल्द जल्द रेत घाटों का ठेका कराया जाए,ताकि की ,वे रेती घाट से ओरिजनल रॉयल्टी लेकर अपना व्यवसाय चला सके और अपना परिवार पाल सके। परंतु सावनेर में राजनीति का कहर सावनेर के छोटे ट्रेक्टर ट्रांसफर को भुगतना पड़ रहा है।विगत कुछ वर्षों से रेती घाट न होने के कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे रहे है क्यूंकि रेत घाट न होने की वजह से कई लोकल ट्रैक्टर मालिको पर बैंक का कर्जा इतना बड़ गया है की ली गई गाड़ियों की स्टॉलमेंट भरना मुश्किल हो रहा है ।कई लोकल ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां फाइनेंसर उठाकर ले जा रहे हैं।
कई लोगों का घर चला पाना मुश्किल हो रहा है। अगर कोई लोकल ट्रांसफर अपना घर और परिवार का भरण पोषण करे भी तो कैसे करे क्यूंकि वे न तो नदी से रेत की चोरी भी नही कर सकते क्यूंकि ऐशा करने पर उन्हें रेत तस्कर का नाम दे दिया जाता है। और प्रशासन द्वारा उन्हें दंडित भी किया जाता है।ऐसे में लोकल ट्रैक्टर ट्रांसफारो का जीवन जीना मुश्किल हो चला है।प्रशासन ने लोकल ट्रैक्टर ट्रांसफर मालिको की हालातो की ओर देखते हुऐ जल्द से जल्द रेती घाटों का ठेका कर देना चाहिए।ओर रेती घाटों पर पोकलैंड जो की रेती घाट में रेती बहुत ज्यादा मात्रा में सहायक होती है।
ओर नदी को गहरी करती है।रेत घाट मालिको को प्रशासन द्वारा पोकलैंड पर रोक लगाना चाहिए और ट्रेक्टर द्वारा नदी से रेत ढूलाई डंपिंग करवानी चाहिए।ताकि मजदूर वर्ग और ट्रैक्टर वाले ट्रांसफारो को भी रोजगार मिल सके। ताकि वे भी अपना घर,परिवार सुचारू रूप से चला सके।और कर्जे के कारण आत्महत्या करने से बच सके।