Published On : Mon, Jul 10th, 2017

GST की वजह से नागपुर के टेक्सटाइल कारोबार को 500 करोड़ से ज़्यादा का नुकसान

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Textile traders rally
नागपुर: GST की वजह से टेक्सटाइल कारोबार बुरी तरह चरमरा गया है। अकेले नागपुर में अब तक 500 करोड़ रूपए के कारोबार पर असर पड़ा है। जीएसटी लागू होने के विरोध में देश में कपड़े की सबसे बड़ी मंडी सूरत में व्यापारी हड़ताल पर है इस हड़ताल का सबसे बुरा असर नागपुर के बाज़ार पर पड़ा है। त्यौहार के मौसम के शुरुवाती दिनों में कारोबार पर पड़े मंदी के असर से राखी का बाज़ार ठंडा हो जाने की बात व्यापारी कह रहे है। कपड़ा कारोबार से जुड़े होलसेल व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार मदान के अनुसार जीएसटी लागू हो जाने का बड़ा असर नागपुर के बाज़ार पर होगा। अकेले शहर से करोड़ो रूपए का कारोबार होता है जो बीते 13 दिनों से ठप्प पड़ा है। कपड़े से जुड़े कारोबार में असंगठित तरीक़े से बड़े पैमानें पर काम होता है जिससे हजारों लोगों को रोज़गार मिलता है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में कई लोगो के हाँथ दे रोज़गार छिन जाने की संभावना है। शहर के प्रमुख बाज़ार ईतवारी में दुकानों पर सन्नाटा पसरा है।

बिना तैयारी के लागू हुआ जीएसटी
कपड़े के कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है की जीएसटी को लागू करने में सरकार द्वारा जल्दबाजी बरती गई है। सभी तरह के जॉब वर्क पर 18 % जीएसटी लगाया गया है जो गलत है। इतना होने के बाद अंत के बिक्री पर भी 5 फ़ीसदी अलग से जीएसटी लगाया गया है इसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा। बेहतर होता की सरकार कपड़ा निर्माण के शुरुवाती चरण में ही एक मुश्त जीएसटी लगा लेती। अब अगर सामान्य मिस्त्री बटन लगाने का काम करता है तो उसे भी जीएसटी का भुगतान करना होगा। कपड़ा कारोबार से जुड़ा संगठित क्षेत्र का दायरा बेहद कम है उसे जीएसटी द्वारा सीधा फ़ायदा पहुँचाया गया है।

अब तक जीएसटी नंबर ही नहीं मिला
कपड़ा कारोबार से जुड़े कई व्यापारियों को अब तक जीएसटी नंबर तक नहीं मिल पाया है जिस वजह से उन्हें व्यापार करने में मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है। जीएसटी को लागू हुए 10 दिन बीत चुके है पर अब तक इनके पास नंबर ही नहीं है।

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बड़े व्यापारी नेताओं ने सरकार का साथ देकर व्यापारियों को नुकसान पहुँचाया – कपड़ा व्यापारी एसोसिएशन अध्यक्ष व्यापारियों के नेता अजय कुमार मदान कपड़ा कारोबारियों पर लादे गए जीएसटी के लिए जितना सरकार को जिम्मेदार नहीं मानते उससे ज़्यादा व्यपारी नेताओं को मानते है उन्होंने सीधे तौर पर सरकार के साथ मिलीभगत कर बिना सोचे समझे सरकार का साथ देने का आरोप लगाया। जिस सेक्टर पर अब तक कोई टैक्स नहीं था वह सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहा है कपड़ा उद्योग सबसे ज्यादा रोज़गार देने वाला क्षेत्र है अब कही ऐसा न हो की सरकार के फ़ैसले से निम्न वर्ग रोज़गार छिन जाये।

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