– विधानसभा अध्यक्ष के साए में जारी हैं पवार का उधम
नागपुर: यवतमाल विधानपरिषद के उपचुनाव होने जा रहे.इस उपचुनाव में शिवसेना और भाजपा उम्मीदवार के मध्य सीधी टक्कर हैं.सेना ने दुष्यंत चतुर्वेदी तो भाजपा ने सुमित बाजोरिया को उम्मीदवारी दी हैं.इस चुनावी ‘रंग में भंग’ करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के साए में राजनीत करने वाले प्रशांत पवार ने भी उम्मीदवारी दाखिल कर सभी को चिंतित कर दिया।गर्मागरम सवाल यह हैं कि क्या विधानसभा अध्यक्ष का पवार को समर्थन हैं क्या ?
उपचुनाव का स्पष्ट कारण इस सीट पर पिछली दफा शिवसेना के तानाजी सावंत जीते थे,वे पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा में बतौर सेना उम्मीदवार जीत कर आए.जिसके कारण रिक्त हुई इस स्थानीय स्वराज्य संस्था की सीट पर उपचुनाव होने जा रहा.इस उपचुनाव में सेना ने विधानसभा चुनाव के पूर्व सेना में प्रवेश लेने वाले नागपुर विश्विद्यालय के सीनेटर दुष्यंत चतुर्वेदी उम्मीदवारी दो तो भाजपा ने व्यापारी व ठेकेदार सुमित बाजोरिया को मैदान में उतारा।कांग्रेस-एनसीपी क्यूंकि सेना के साथ गठबंधन में सरकार का हिस्सा हैं,इसलिए उन्होंने चतुर्वेदी को समर्थन दे रखा हैं.यह चुनाव पहले भी काफी महंगा/खर्चीला साबित हो चूका था,इस सीट से पिछले विधायक तानाजी सावंत ने नोटबंदी के पूर्व २०००-२००० रूपए बाँटने का आरोप सह चुके हैं.इसी तर्ज पर इस उपचुनाव में भी उम्मीद से ज्यादा खर्च होने के आसार लगाए जा रहे हैं.
यह उपचुनाव ३१ जनवरी को होने जा रही हैं.सेना के स्थानीय पूर्व विधायक बालासाहेब मुनगिनवार ने भी स्थानीय नगरसेवक सह पदाधिकारियों संग उम्मीदवारी दाखिल की हैं.तो दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के करीबी प्रशांत पवार ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उम्मीदवारी दाखिल कर सभी को चकित कर दिया।
चर्चा यह हैं कि प्रशांत पवार भी नागपुर के हैं और दुष्यंत चतुर्वेदी भी.दुष्यंत की उम्मीदवार समझ में आती हैं कि पक्ष के आदेश पर अधिकृत रूप से उम्मीदवारी दर्ज की लेकिन पवार की उम्मीदवारी दर्ज करने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं.क्या सेना व कांग्रेस में खटपट हैं ?,या विधानसभा अध्यक्ष और सेना में तनातनी हैं ? या फिर विधानसभा अध्यक्ष की कांग्रेस के पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी के साथ मतभेद हैं ?
क्यूंकि पवार बिना विधानसभा अध्यक्ष के अनुमति के उम्मीदवारी दर्ज नहीं कर सकता।क्यूंकि नागपुर शहर में पटोले को राजनीत करने का अवसर पवार ने ही दिया था,उन्हीं के विवादास्पद कार्यालय से पटोले ने लोकसभा चुनाव लड़ा इसलिए भी हार से सामना करना पड़ा था.
और यह भी हो सकता हैं कि पवार व्यक्तिगत लाभ के लिए दुष्यंत की राह में रोड़ा बने,हित सधते ही चुनाव पूर्व घर बैठ जायेंगे।वैसे यवतमाल में पवार को लेकर कोई गंभीर नहीं हैं.और यह भी कड़वा सत्य हैं कि पवार ने आजतक जितने भी सार्वजानिक चुनाव लड़े ,लम्बे अंतराल से हार का स्वाद चख चुके हैं.
उल्लेखनीय यह हैं कि यवतमाळ जिले से यह भी जानकारी मिली कि प्रशांत पवार के उम्मीदवारी दर्ज करने के पीछे विधानसभा अध्यक्ष और यवतमाळ के सांसद की रणनीत भी हो सकती हैं.क्यूंकि दोनों एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं.पटोले के बड़े भाई विनोद जो तथाकथित इंटक नेता हैं,यवतमाळ की सांसद उनकी करीबी रिश्तेदार हैं.विनोद पटोले ने भी ग्रामीण पुलिस में रहते हुए काफी चर्चे में रहे थे.