– यवतमाळ स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधानपरिषद का उपचुनाव में बतौर महाआघाड़ी प्रत्याशी उन्होंने स्थानीय दिग्गज भाजपा उम्मीदवार सुमित बाजोरिया को १०० से अधिक मतों से पराजित किए
नागपुर/यवतमाल – स्थानीय निकाय संस्था से निर्वाचन क्षेत्र से विधानपरिषद् का उपचुनाव में महाआघाड़ी प्रत्याशी दुष्यंत चतुर्वेदी ने भाजपा प्रत्याशी सुमित बाजोरिया को १०० से अधिक मतों से पराजित किया।
चुनाव का मतगणना स्थानीय जिलाधिकारी कार्यालय के बलिराजा चेतना भवन में आज ४ फरवरी की सुबह ८ बजे मतगणना शुरू हुई.लगभग १० बजे मतगणना की प्रक्रिया ख़त्म हो चुकी हैं,सिर्फ औपचारिक घोषणा होनी शेष हैं.
याद रहे कि जिले के ७ मतदान केंद्रों पर ३१ जनवरी को मतदान हुआ था.शुरुआत से ही महाआघाडी के उम्मीदवार दुष्यंत चतुर्वेदी का पलड़ा भारी था,क्यूंकि कुल मतदाता में से ३१०-३२० मतदाता इनके पक्ष में सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया तक इनके साथ ही खड़े दिखें।
वैसे आधा दर्जन उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे.लेकिन मुख्य मुकाबला महाआघाडी के उम्मीदवार दुष्यंत चतुर्वेदी और भाजपा उम्मीदवार सुमित बाजोरिया के मध्य था.
यह भी तर्क-वितर्क लगाया जा रहा था कि ऐसे चुनाव में उम्मीदवारों के मतपत्रिका में उनके पक्ष का चिन्ह नहीं होता और न ही पार्टी का कोई अधिकृत दबाव तंत्र होता हैं इसलिए इस चुनाव में सभी को ‘क्रॉस वोटिंग’ का डर समाया हुआ हैं.
यह भी कड़वा सत्य था कि चुनाव का विजेता वहीं होंगा,जिन्हें पहली पसंद का २३१ वोट मिलेंगा।दुष्यंत को पहली पसंद का ३१२ मत प्राप्त हुआ,जिसके तुरंत बाद उनके विजयी होने की लहर सर्वत्र फ़ैल गई.
उल्लेखनीय यह हैं कि इस निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के तानाजी सावंत एमएलसी थे,लेकिन वे पिछले विधानसभा चुनाव लड़े व जीते जिसके कारण उन्हें उक्त निर्वाचन क्षेत्र से बने विधायिकी से इस्तीफा देना पड़ा.जिसके कारण उक्त उपचुनाव हुए,जिसमें भी शिवसेना ने अपना उम्मीदवार उतारा।हाल ही में शिवसेना में प्रवेश करने वाले पूर्व कांग्रेसी मंत्री सतीश चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चतुर्वेदी को अपना उम्मीदवार बनाया।सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री काल का पहला चुनाव था,जिसमें सेना को बड़ी सफलता मिली।
नवनिर्वाचित एमएलसी दुष्यंत चतुर्वेदी कांग्रेसी पिता के राजनैतिक जीवन में परदे के पीछे से भूमिका निभाते रहे.पिछले साल अचानक सीनेट के चुनाव में भाग लेकर सबको चकित कर दिया था,सभी को दूसरा झटका तब लगा जब वे अचानक सेना में प्रवेश किए.और सेना सुप्रीमो ने उन पर विशवास प्रकट कर उन्हें उपचुनाव में उम्मीदवारी दी,जिसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली।इस तरह सीना को पूर्वी विदर्भ में युवा सक्षम नेतृत्व मिल गया.