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नागपुर- राजनैतिक पावर का इस्तेमाल करके या फिर पैसों का उपयोग करके कई हाईप्रोफाइल लोग क्राइम करके बच जाते है या फिर इसको छुपाने के लिए कई तरह के हथकंडे भी अमीर लोगों की तरफ से किए जाते है. हालांकि, नागपुर पुलिस हमेशा इस तरह की अनियमितताओं को सामने लाने और जांच को बेहतर करने की कोशिश कर रही है.
ऐसे ही एक मामले में 25 और 26 जनवरी को रात में नागपुर शहर के एक हाईप्रोफाइल अमीर व्यक्ति के बेटे ने अपनी तेज रफ़्तार वॉल्वो कार से धंतोली परिसर में एक जगह पर एक वाहन को टक्कर मार दी, इसमें इस व्यक्ति का दोस्त भी उसके साथ था. इसके बाद इस व्यक्ति ने अपने बिज़नेसमैन पिता को फ़ोन पर घटना की जानकारी दी. इसके बाद इसपर पुलिस कार्रवाई न हो इस उद्देश्य से इसे रातोरात धंतोली के न्यूरॉन हॉस्पिटल और बाद में विम्स हॉस्पिटल में एडमिट किया गया. इसके बाद इन हॉस्पिटल्स में इस व्यक्ति के बिजनेसमैन पिता ने यह भी ध्यान रखा की इसकी जानकारी और न्यूज़ बाहर न आये. इसके बाद अभी इस मामले को दबाने का प्रयास करने पर यह मामला अब सामने आया है. अब इस मामले की जांच नागपुर क्राइम ब्रांच कर रही है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जाने-माने बिज़नेसमैन मनीष अग्रवाल का बेटा आयुष अग्रवाल अपनी आलिशान वॉल्वो कार 140 की स्पीड से चला रहा था, कार में इस समय आयुष का दोस्त आयुष गोयल भी बैठा था. कार की तेज रफ्तार के कारण आयुष का कार से नियंत्रण चला गया कार ने सड़क किनारे वाहन को टक्कर मार दी. इस टक्कर में दोनों को चोटे भी आयी. यह जानते हुए कि गलती अपनी है, आयुष ने अपने पिता मनीष अग्रवाल उन्हें जानकारी दी.
अपनी पहुंच पैसे और पावर का उपयोग करते हुए, मनीष ने दोनों को न्यूरॉन और वीआईएमएस अस्पताल में लेकर गए. दोनों का फ्रैक्चर होने के कारण एक हफ्ते से अधिक समय तक यह दोनों अस्पताल में भर्ती भी थे. बाद में दोनों को फरवरी में यानी हाल ही में छुट्टी दे दी गई है.मनीष ने बाद में पुलिस की कार्रवाई को रोकने के लिए धंतोली पुलिस स्टेशन से संपर्क किया. यहां तक कि वीआईएमएस हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने भी पूरा जोर लगाया की इस एक्सीडेंट की जानकारी नागपुर पुलिस तक न पहुंचे. इसको छुपाने के चक्कर में और इसको दबाने के प्रयास में यह मामला क्राइम ब्रांच तक पहुंच गया. इनपुट्स पर तेजी से कार्रवाई करते हुए, क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने इस घटना में जांच शुरू की.
हम अक्सर पुलिस सिस्टम की आलोचना करते हैं. हालांकि, सिंडिकेट्स – राजनेता, अमीर – जो अक्सर जांच को रोकने का प्रयास करते है, ये ही वे लोग है जो पुलिस को अपना काम करने और जांच करने के लिए रोकते है. हमारी जिम्मेदार है की हम पुलिस से सवाल न पूछकर इनसे पूछे.