नागपुर :लॉकडाउन के दौरान नागपुर की जनता ने बिजली बिलों के रूप में जोर का झटका सहा है। महावितरण की ओर से ग्राहकों को भेजे गए जून महीने के बिलों ने जैसे उन सभी पर बिजली गिरा दी है। अब महावितरण समाधान के नाम पर बिजली बिलों को सही ठहराने के लिए तमाम लीपापोती पर उतर आया है। उधर महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने महावितरण की खस्ता आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से 10,000 करोड़ रुपए की राहत राशि की मांग की है। ऐसे में ग्राहक सवाल उठा रहे हैं कि महावितरण बिजली बिलों की आड़ में ग्राहकों से अपने नुकसान की भरपाई करने पर क्यों उतारू है।
लॉकडाउन के बहाने काटी ग्राहकों की जेब!
एक ओर लॉकडाउन में जहां लोगों की नौकरियां जा रही हैं और वेतन में भारी कटौती की जा रही है, वहीं महावितरण के यह मनमाने बिजली बिल जनता की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं। नागपुर टुडे ने जब गहराई से इस मामले की पड़ताल की तो एक महाघोटाले की आहट सुनाई दी। दरअसल, ग्राहकों को औसत से दोगुने-तिगुने बिल भेजे गए। यदि गर्मियों के मौसम में बिल बढ़ने की बात मान भी लें, तब भी ग्राहकों के औसत बिल की तुलना में वर्तमान बिल की राशि 3 गुना तक पहुंच रही है। सभी ग्राहकों में इस बात को लेकर सवाल पैदा हो रहे हैं कि आखिर अचानक उनकी मीटर रीडिंग में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी कैसे दर्ज हो गई? हैरान कर देनेे वाली बात तो यह है कि कुछ ग्राहक लॉकडाउन के दौरान अपने घरों के बाहर फंसे थे और इस दौरान उन्होंने अपने घरों में बिजली इस्तेमाल भी नहीं की थी, लेकिन वापस लौटकर जब बिजली बिल देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जब उन्होंने बिजली की खपत की ही नहीं तो फिर मीटर रीडिंग 4 गुना तक कैसे बढ़ गई?
बिल ने गिराई बिजली
इस मामले को, या यूं कहें महावितरण के इस महाघोटाले को समझने के लिए आइए कुछ उदाहरण देखते हैं।
केस 1
गोकुलपेठ में रहने वाले एक ग्राहक का गर्मियों में अमूमन बिल सबसे ज्यादा ₹5000 तक आता है, लेकिन इस साल जून में उन्हें ₹22000 का बिल थमा दिया गया। उन्होंने गौर किया कि उनकी मीटर रीडिंग में जबर्दस्त उछाल आया है। उनके मन में सवाल है कि आखिर मीटर रीडिंग में इतना उछाल आया कैसे?
केस 2
जयताला रोड निवासी एक अन्य ग्राहक की पिछले महीने केवल 126 यूनिट खपत हुई थी, जोकि जून महीने में बढ़कर 959 यूनिट हो गई है। 400-500 का बिल भरने वाले इस ग्राहक को ₹7000 का बिल थमाया गया है।
केस 3
वर्धा रोड निवासी एक बिजली उपभोक्ता का तो किस्सा ही अनोखा है। यह बुजुर्ग दंपत्ति पिछले ढाई महीने से नागपुर से बाहर मुंबई में अपने बेटे के घर में थे। लॉकडाउन के चलते वे मुंबई में ही फंसे रहे। वहां से वो हर महीने ऑनलाइन बिल भी भरते रहे। लेकिन पिछले हफ्ते वापस लौटकर देखा तो उनके बिजली बिल में जून माह में 210 रीडिंग दर्ज की गई थी। आखिर वे हैरान-परेशान होकर यही सोच रहे हैं कि पूरे 3 महीनों तक घर में किसी के भी ना रहने के बावजूद इतनी मीटर रीडिंग कैसे आई?
बिजली मीटर पर उठ रहे सवाल!
पूरे नागपुर में बिजली बिलों का यही हाल है। हर ग्राहक अपने बिजली बिल को लेकर चौंका हुआ है। ऐसे में औसत से तीन से चार गुना अधिक मीटर रीडिंग आने पर ग्राहकों के मन में इलेक्ट्रॉनिक मीटर की विश्वसनीयता को लेकर संदेह पैदा हो रहा है। कुछ ग्राहक तो यह आशंका जता रहे हैं कि कार्यालयीन स्तर पर ही सभी मीटरों में छेड़छाड़ की गई है। ग्राहकों की आशंका को बल इस तथ्य से भी मिलता है कि सभी मीटर डिजिटल हैं और ऐसे में इसे ऑफिस से ही कमांड देकर गड़बड़ी किए जाने की आशंका प्रबल है। हालांकि नागपुर टुडे इस तथ्य की पुष्टि नहीं कर पाया है। लेकिन सभी ग्राहकों को थमाए गए दोगुने और तीन गुने बिलों को देखकर गड़बड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
महावितरण का बेतुका समाधान, मंत्री जी का अजब नुस्खा!
भारी भरकम बिजली बिल देखकर जब ग्राहकों के बीच गुस्सा फूटा तो महावितरण बेतुके समाधान देने पर उतर आया है। महावितरण के अधिकारी गूगल मीट जैसे ऑनलाइन ऐप पर समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं और जोड़-तोड़ करके खुद के द्वारा भेजे गए बिजली बिल को सही ठहरा रहे हैं। यूनिट दर में बढ़ोतरी के साथ-साथ व्हीलिंग चार्ज और अधिभार के नाम पर मनमानी बिल वसूली की जा रही है और अब इस गोरखधंधे को न्यायसंगत ठहराने के लिए मुहिम छेड़ दी गई है। कुछ ग्राहकों ने जब राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत से भेंट की तो मंत्री जी ने भी बिल की अधिकता पर कोई सवाल नहीं उठाया, उल्टा महावितरण से किश्तों में बिल का भुगतान लेने का अजीब समाधान पेश कर दिया। उन्होंने यह नहीं कहा कि बिल बहुत ज्यादा है बल्कि उन्होंने कहा कि बिल को किश्तों में विभाजित किया जाए।
ग्राहकों से वसूल रहे नुकसान की भरपाई?
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने आर्थिक तंगहाली से जूझ रही महावितरण में जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय से 10,000 करोड़ रुपए की सहायता राशि की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ग्राहकों पर अधिक बिल का बोझ डालकर इस नुकसान की भरपाई की जा रही है।
क्या मध्य प्रदेश की तर्ज पर सुधारेंगे भूल?
पिछले महीने मध्यप्रदेश में विद्युत मंडल की ओर से राज्य के ग्राहकों को भेजे गए भारी भरकम बिलों ने ग्राहकों की नाक में दम किया था। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान न्यूनतम बिजली खपत पर ₹100 बिजली बिल का प्रावधान था लेकिन जब शिवराज सिंह चौहान दोबारा मुख्यमंत्री बने तो ग्राहकों को फिर तूफानी बिल थमाए जाने लगे।
काफी खींचतान के बाद मध्य प्रदेश विद्युत मंडल ने जून माह के बिल में पिछले बिल के दौरान वसूली गई भारी भरकम रकम को कम किया है। जून माह के बिल में ग्राहकों के बिलों से ₹500 से लेकर ₹2000 तक कम किए गए हैं। अब यह देखना होगा कि क्या मध्य प्रदेश सरकार से सीख लेते हुए महाराष्ट्र सरकार भी अपनी भूल सुधारकर ग्राहकों को इस तरह की राहत देगी।