सावनेर: रायसोनी अभियांत्रिकी महाविद्यालय के छात्र मोहनीश अकील पटेल, उम्र 23 निवासी जाफर नगर, नागपूर की वाकी स्थित कन्हान नदी में डूबकर मृत्यु हो गयी। मोहनीश मूलतः भंडारा का रहनेवाला है, जो अभियांत्रिकी की पढ़ाई के लिए नागपुर में रहता था। ज्ञात हो कि, उक्त महाविद्यालय के 20 से 24 वर्ष उम्र के 5 छात्र मोटरसीयकल से रविवार की सुबह 9 बजे के करीब वाकी स्थित कन्हान नदी पहुचे थे। कुछ देर फ़ोटो शूट करने के बाद उन्होंने नदी में नहाने का निर्णय लिया व सभी 10 बजे के करीब नदी के बहाव में नहाने के लिए उतरे। मध्यप्रदेश स्थित ऊपरी क्षेत्र में तेज बारिश होने से नदी में पानी का बहाव काफी तेज है। छात्रों ने बताया कि, मोहनीश अचानक नदी के तेज प्रवाह में चल गया व कोई कुछ समझ पाता इससे पूर्व ही वह गोते खाने लगा। साथ के कुछ छात्रों ने उसे बचाने का प्रयास किया वहीं 2 छात्रों ने भी उसे बचाने के लिए गुहार लगाई लेकिन मोहनीश को कुछ सहायता मिल पाती इसके पूर्व ही वह पानी मे डूब गया।
घटना की जानकारी खापा पुलिस थाने में दी गयी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया व सावनेर के तहसीलदार राजू रणवीर, पुलिस उपविभागीय अधिकारी सुरेश भोयर, खापा की थानेदार एपीआई अनामिका मिर्जापुरे ने घटनास्थल पर पहुचकर जायजा लिया और मोहनीश को तलाशने के प्रयास शुरू किया। एसडीआरएफ, एनएमसी नागपुर व स्थानीय गोताखोरों की सहायता से पूरा दिन मोहनीश को तलाशने के प्रयास किया गया जो असफल रहा। शाम हो जाने के कारण खोज कार्य रोक दिया गया। जिसे सोमवार की सुबह 6 बजे फिर शुरू करने की जानकारी थानेदार अनामिका मिर्जापुरे ने दी। ज्ञात हो कि, विगत 1 माह में यहां इस प्रकार की 3 घटनाएं हो चुकी है। जिससे पुलिस विभाग द्वारा यह आने वाले युवाओं को आगाह करने के लिए 2 बोर्ड लगाए गए है। जिस पर इस वर्ष यह डूबकर मारने वाले युवकों के नाम व एक क्रमांक को खाली रखकर यहा आपका नाम न छपे इस आशय का संदेश उक्त बोर्ड के माध्यम से दिया गया है, जिसका भी असर युवा वर्ग पर होता नही दिखाई दे रहा है।
मांडवे पैटर्न की जरूरत
2 वर्ष पूर्व खापा में थानेदार का पदभार संभालने के बाद तत्कालीन थानेदार एपीआई अनिल मांडवे ने कन्हान नदी में डूबकर हो रही मौतों को गंभीरता से लेते हुए एक निर्णय लिया था जिसके तहत बारिश के दिनों में नदी की और जाने वाले रास्ते पर बैरिकेट लगाकर सभीको वहाँ जाने से रोक दिया जाता था। उनके इस आदेश का काफी विरोध भी हुआ था, लेकिन उन्होंने इस मामले में काफी कड़ाई बरती थी व उसी का परिणाम था कि उस वर्ष उक्त क्षेत्र में कन्हान नदी में डूबकर मौत होने की एक भी घटना नही हुई। उनके स्थानांत्तरण के बाद, इस प्रकार की कोई उपाययोजना नही हुई जिससे आये दिन युवा वर्ग यहां मौत के आगोश में समा रहे है। इसलिए स्थानीय जनता फिर से एक बार मांडवे पैटर्न को कार्यान्वित करने की मांग कर रही है।