कामठी (नागपुर)। ऐतिहासिक बीना गांव नागपुर जिले के कामठी, सावनेर तथा पारशिवनी इन तहसीलों के मुहाने पर स्थीत है. यह गांव नागपुर शहर से 15 किमी दूर कन्हान, कोलार, पेंच नदियों के संगम पर स्थित है. यह गांव नागपुर में सीताफलों के लिए प्रसिद्ध है. इस गांव में सर्वाधिक मजदुर, ईटो के सांचे तथा ईट बनाने का काम करते है.
इस गांव को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लालबहादुर शास्त्री भी भेंट दे चुके है. विदर्भ वैज्ञानिक विकास मंडल द्वारा भाजपा शिवसेना युति सरकार के शासन काल में बीना संगम तक बाय पास मार्ग का शीघ्र डामरीकरण हेतु जो 40 लाख की निधी विदर्भ वैज्ञानिक विकास मंडल नागपुर के तहत विशेष निधी उपलब्ध कराई गयी थी. जो आज करीब 9 साल बीत जाने के बावजूद भी डामरीकरण का कार्य करना आवश्यक है. कामठी खापरखेड़ा मुख्य रास्ते से बीना संगम तक बाय पास रोड का डामरीकरण कुछ दुरी पर किया गया है. बायपास मार्ग से लेकर संगमेश्वर शिव देव स्थान मंदिर तक सड़कों की हालत इस कदर बदत्तर हो चुकी है कि अगर कोई वाहन चालक अपने वाहन द्वारा सड़कों पर चले यह संभव नही है. और दुर्घटना होने की अधिकतर संभावना बनी रहती है.
इसके बारे में जनप्रतिनिधियों द्वारा लोक निर्माण विभाग कामठी कैंट को बार-बार सूचित किया पर सरकारी धन राशी न होने का बहाना बताया जाता है. डामरीकरण कार्य में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जिसके कारण रास्ते पर भीषण गद्दे पड गए है. यहाँ पर महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला आयोजित होता है. तथा बारहों महीने लोगों का तांता लगा रहता है. आये हुए पर्यटकों को अनेक समस्याओं जैसे आवागमन की उचित व्यवस्था न होने से पर्यटकों को रात में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अतः वहां पर पथदीप लगाएं जाय तथा प्रधानमंत्री ग्रामीण स्वजलधारा के कार्यक्रम के अंतर्गत बीना मंदिर परिसर में एक बोरवेल स्थापित की जाए,बाय पास बीना मार्ग से मंदिर परिसर में शौचालय न होने के कारण गांव के रहवासी सड़कों पर तथा नदी के किनारे शौच करके शुद्ध वातावरण को दुषित करते है.
आने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रकार से गंदगी के कारण अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अतः ग्राम पंचायत द्वारा सरकारी शौचालय तथा बोरवेल शीघ्र तैयार करना भी आवश्यक है. पिछले कुछ वर्षो से महाराष्ट्र सरकार ने बस सेवा बंद कर दी है. जब की बस सेवा शुरू करना अत्यंत आवश्यक है. बस सेवा निरंतर चालू रहे तो यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है. यहाँ वर्ष भर पर्यटक आते रहते है.