नागपुर: देश में भले ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितने भी दावे क्यों न किए जाते हों, लेकिन हकीकत दावों से कोसों दूर जाते दिखाई दे रही है. महिलाओं के खिलाफ अत्याचार कम होने के बजाए और बढ़ते जा रहा है. जी हां, मुंबई पुलिस के महिला अपराध निवारण सेल के रिकॉर्ड इस बात की गवाही दे रहे हैं कि क्रिमिनल लॉ एक्ट(संशोधित) 2013 के बाद भी महिलाओं के प्रति अपराध की रोकथाम होते दिखाई नहीं दे रही है.
बता दें कि मुंबई पुलिस ने इस सेल का गठन मार्च 2013 में किया था. वह इसलिए ताकि महिलाएं खुद पर होनेवाले लैंगिक शोषण के खिलाफ शिकायत निर्भय रूप से दर्ज करा सकें. लेकिन दुर्भाग्य से 5 साल बीतने के बाद भी इस सेल में मंजूर पदों में आज भी कई पद खाली पड़े हुए हैं. बेरुखी के आलम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेल में उपनिरीक्षक और सहायक उपनिरीक्षक पद के 12 अधिकारियों में से केवल तीन अधिकारी ही नियुक्त हैं. वहीं कुल 77 मंजूर पदों में से केवल 33 ही भरे गए हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1102 शिकायतें सेल को प्राप्त हुई हैं. मिली शिकायतों में से 401 शिकायतें घरेलू हिंसा के हैं. वहीं 166 मामले लैंगिक शोषण से जुड़े हुए हैं. लेकिन इस सेल में आश्चर्यजनक रूप से 102 शिकायतें पत्नियों के खिलाफ भी दर्ज किए गए हैं.
कई मामले सेल के अधीन किए जाने के बाद भी एक भी मामले का निबटारा अब तक नहीं हो पाया है. जनवरी 2015 से अब तक 15 में से 11 मामलों की जांच लंबित पड़ी हुई है वहीं 4 मामलों में आरोपी बरी कर दिए हैं.
रेप करनेवाले अपराधी को फांसी की सजा देना ही एक मात्र उपाय नहीं है, 2016 में 30400 हत्या के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, हमें जरूरत है अपने अपराधिक न्याय प्रक्रिया में सुधार लाने की विशेष तौर से शिकायत दर्ज करने से लेकर अदालत से आदेश आने तक की प्रक्रिया में सुधार लाना होेगा. वर्तमान की प्रक्रिया खामियों से भरी और लचर प्रक्रिया है जो अपराधियों के हौसले बुलंद करती है. यही नहीं जुर्म को बार बार दोहरानेवाले अपराधियों को जमानत मिलने, अपराधिक और राजनीतिक दबाव आदि से अपराधी बिना किसी डर के लगातार अपराध करते जा रहे हैं.
एक नजर इधर भी..
एसीआरबी के रिकॉर्ड में बलात्कार के मामले
2014-36735
2015-34651
2016-38947