Published On : Sat, Dec 28th, 2019

गोंदियाः ४३ के नेत्रदान से मिली नई ज्योति

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जीवन का अमूल्य वरदान, नेत्रहीन को नेत्रदान

गोंदिया। दुनिया में हर चीज का ऩजारा लेने के लिए हमारे पास आंखों का ही सराहा होता है, लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है, कि बिन आंखों के यह दुनिया कैसे होगी? चारों तरह अंधेरा ही अंधेरा मालूम होगा, दुनिया की सारी खूबसूरती आंखों के बिना कुछ नहीं है।

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किन्तु इसे विडंबना नहीं तो क्या कहें कि गोंदिया में २५० लोगों का कार्निया वेटिंग लिस्ट पर है। अगर इस गोंदिया मंथन प्रोग्राम के माध्यम से आंखों की रोशनी प्रदान करने की ओर कदम बढ़ाए जाते है तो, गोंदिया को पहला दृष्टिहीन मुक्त जिला भारत में बनाया जा सकता है।

कुछ एैसे उद्गार जलाराम लॉन में आयोजित ‘ गोंदिया मंथन ’ द्वितीय वर्षगांठ कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक हरिश बैजल ने व्यक्त करते नेत्रदान के प्रति गोंदिया के नागरिकों को प्रोत्साहित किया था। इस अवसर पर सभागृह में उपस्थित ४५ लोगों द्वारा स्वेच्छा से नेत्रदान शपथपत्र भरकर सौपे गए थे।

तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक हरिश बैजल की पहल का असर यह हुआ है कि, सितंबर २०१८ से दिसंबर २०१९ के इन १५ माह के दौरान गोंदिया में अब तक ४३ ने नेत्रदान किया है।

गोंदिया में ऑय बैंक स्थापित हो – हरिश बैजल
गोंदिया पधारे मुंबई क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त हरिश बेजल ने नागपुर टुडे से बात करते कहा- गोंदिया के जो प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक है वो इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे है कि, गोंदिया में एक प्राइवेट लेवल पर ऑय बैंक (नेत्र बैंक) शुरू किया जाए साथ ही गोंदिया मेडिकल कॉलेज के डॉ. अग्रवाल ने भी इस विषय पर पहल करने का आश्‍वासन दिया है कि, गव्हरमेंट लेवल पर एक ऑय बैंक स्थापित करने हेतु वे प्रयासरत है। इसका असर यह होगा कि, गोंदिया में जो नेत्रदान होंगे उसका लाभ यहां के वेटिंग लिस्ट वालों को मिलेगा और वे लाभान्वित होंगे तभी गोंदिया देश का पहला अंधत्व (नेत्रहीन) मुक्त जिला घोषित होगा।

किसी व्यक्ति की मृत्यु उपरांत मैसेज मिलते ही नेत्रदान प्रेरक टीम के सदस्य नरेश लालवानी, आदेश शर्मा, दुर्गेश रहांगडाले, विजय अग्रवाल, हर्षल पवार, अभय गौतम यह अपना दायित्व निभाने संबंधित के घर पहुंचते है तथा नेत्रदान के महत्व को समझाते हुए उस परिवार को नेत्रदान हेतु प्रेरित करते है तत्पश्‍चात ये वॉलेंटियर इस बात की सूचना जिला केटीएस अस्पताल के डॉक्टर रामटेके, डॉ. खड़के, डॉ. विजय कटरे, डॉ. प्रशांत दुपारे, डॉ. श्रृती गायधने, डॉ. अंकित गेडाम तथा प्राइवेट डॉ. कुदड़े, डॉ. निलेश जैन को देते है, मृत्यु के करीब ६ से ८ घंटे के अंदर नेत्रदान होना चाहिए? सूचना मिलते ही, मृतक के घर तय समय में तकनीशियन व डॉक्टर की टीम पहुंचती है जिनके पास २ किट होते है- लीनन और एक्सीसिंग।

यह टीम आँख को कुछ नहीं करती सिर्फ आँख का कार्नियां (पारदर्शी पुतली) विशेष उपकरणों की मदद से निकालते है , इसे एमके मीडिया नामक सॉल्यूशन की शीशी में सुरक्षित रखा जाता है, इस शीशी को आइससोल पैक्स थर्माकोल बॉक्स में रखकर अस्पताल भेजा जाता है जहां लैब टेस्ट की प्रक्रिया शुरू होती है।

कार्निया के तीन टेस्ट के बाद , सही पाये जाने पर कार्निया प्रत्यारोपण के लिए इसे सूरज नेत्रालय (नागपुर) भेजा जाता है, जहां प्रत्यारोपण के दौरान मरीज के खराब कार्निया को हटाकर स्वस्थ कार्निया लगाया जाता है। नेत्रदान के दौरान उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जो वेटिंग लिस्ट में होते है और जिन्हें दोनों आंखों से दिखायी नहीं देता।

किसकी आँख किसे लग रही है ? यह किसी को पता नहीं चलता तथा यह पूर्ण रूप से गुप्त रखा जाता है।

रवि आर्य

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