Published On : Wed, Nov 29th, 2017

ट्रेन में महिला की डिलीवरी कराने वाले डॉ. विपिन खड़से पर फेसबुक बना रही डॉक्यूमेंट्री

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नागपुर: ट्रेन में सफर करनेवाली गर्भवती महिला की डिलीवरी कराने वाले डॉ.विपीन खड़से पर अब फेसबुक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहा है. इसके लिए इसी महीने 14 नवंबर को डॉ. विपिन के साथ यूएस से आए डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली टीम ने करीब 7 से 8 घंटों तक शूट किया था. इस यूएस की टीम में वहां के 4 टेक्निशियन थे तो वहीं एक भारतीय सदस्य का भी समावेश था. सुबह 6 बजे से लेकर शाम के चार बजे तक यह शूट चला. इसकी शूटिंग डॉ. विपिन के साथ सर्जरी विभाग, कैज्युअलटी, वार्ड, होस्टल और रेडिओलॉजी विभाग में इसकी शूटिंग की गई. एक से दो महीनों में यह डॉक्यूमेंट्री फेसबुक पर डाली जाएगी. डॉ. विपिन ने महिला की डिलीवरी कराते समय व्हाट्सअप की मदद से सीनियर डॉक्टरों से मदद ली थी. फेसबुक की ही कंपनी व्हाट्सप होने की वजह से और ट्रेन में डिलीवरी कराने की घटना को सराहे जाने की वजह से फेसबुक ने इस पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का निर्णय लिया.

डिलीवरी के दिन की बात करते समय डॉ. विपिन ने बताया कि वे अकोला से नागपुर आ रहे थे. वर्धा के पास जनरल डिब्बे में एक महिला और उसका पति जो की रायपुर जा रहे थे. अचानक महिला को लेबर पेन(प्रसव पीड़ा) शुरू हुआ. जिसके बाद ट्रेन को रोका गया. ट्रेन में टीसी ने

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पूछताछ करनी शुरू की. डॉ. विपिन के पास जब टीसी आया तो पहले तो विपिन ने टीसी को बताया कि उन्होंने कभी डिलीवरी नहीं कराई है. लेकिन जब कोई दूसरा डॉक्टर ट्रेन में नहीं मिला तो डॉ. विपिन ने डिलीवरी कराने की हामी भरी. उसके बाद जनरल वार्ड में ही बैठे लोगों को दूर किया गया और सभी तरफ से साड़िया लगाई गईं. बच्चे के बाहर निकलते समय उसके सिर की जगह उसका कन्धा था. जिसके कारण डॉ. विपिन ने मेडिकल में रहनेवाले अपने सीनियर डॉक्टरों से संपर्क किया. जिसमे डॉ. दिनेश शर्मा ने व्हाट्सप के माध्यम से सभी को यह सन्देश पंहुचा दिया. गायनकोलॉजिस्ट से भी सलाह ली गई. डॉ. विपिन के पास उनकी मेडिकल बैग थी. उसी में रखे ब्लेड और अन्य सामान की मदद से महिला की डिलीवरी की गई. इस डिलीवरी में करीब 40 से 50 मिनट का समय लगा. डिलीवरी के दौरान काफी देर तक फंसने की वजह से बच्चा सांस नहीं ले रहा था और उसका शरीर नीला पड़ रहा था. जिसके बाद फिर व्हाट्सप के माध्यम से अपने सीनियर और मित्र डॉक्टरों से डॉ. विपिन से राय मांगी गई. जिसके बाद उन्हें बताया कि बच्चे को आर्टिफिशल श्वास देने की जरूरत है. फिर डॉ. विपिन ने बच्चे को सांस देना शुरू किया और नागपुर तक उसे सांसें देते आए. नागपुर आने के बाद रेलवे की ओर से पहले ही तैयारी कर ली गई थी रेलवे स्टेशन में आने के बाद रेलवे ने बच्चे का इलाज करवाया, बच्चा अब पूरी तरह से ठीक है.

डॉ. विपिन ने बताया कि फेसबुक की ओर से एक व्यक्ति को रायपुर उस दंपति के पास भी भेजा गया था. क्योंकि उन्हें भी इस डॉक्यूमेंट्री में शामिल किया गया है. विपिन को इस कार्य के लिए फेसबुक की ओर से पैसे भी दिए जा रहे थे. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. विपिन के रोजाना के सामान्य जीवन पर यह 17 मिनट की डॉक्यूमेंट्री बन रही है.


डॉ. विपिन अकोला में रहते है. उनके पिता भगवान खड़से जो की किसानी करते हैं और उनकी मां गृहिणी है. जबकि विपिन की दोनों बहने डॉक्टर हैं. विपिन ने बताया कि उनका एमबीबीएस पूरा हो चुका है और अभी वे मेडीकल में इंटर्न हैं. उन्हें सर्जरी में एमएस करने की इच्छा जताई है. जब उन्होंने डिलीवरी कराई थी. तो वे बस एमबीबीएस से पासआउट थे.

डॉ. विपिन ने गर्भवती महिलाओं के लिए सलाह देते हुए बताया कि सात महीने के बाद किसी भी परिस्थिति में सफर नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कोई भी मेडिकल का विद्यार्थी अगर कही पर भी बाहर सफर करता है तो उसके पास उसकी मेडिकल किट हमेशा मौजूद रहनी चाहिए. मेडिकल सिलेबस में भी लिखा है कि किसी भी विद्यार्थी डॉक्टर के लिए महिला की डिलीवरी कराना बहुत जरूरी है. व्हाट्सअप का उपयोग ज्यादा से ज्यादा काम के लिए ही करें. डॉ. विपिन ने सलाह देते हुए यह भी बताया कि मरीज को कई बार गंभीर हालत में कहीं पर भी लेकर जाते हैं. जबकि अगर सोशल मीडिया का उपयोग कर मरीज की रिपोर्ट भी दूसरी जगहों पर भेजी जा सकती है. जिससे की मरीज को परेशानी न हो.



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