नागपुर : गोवारी समाज,आदिवासी समाज का अंग है ऐसा निर्माण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में दिया था। इस फैसले को चार महीने हो चुके है बावजूद इसके समाज ने इस संबंध में अब तक अध्यादेश नहीं निकाला है। इसी बात से नाराज़ गोवारी समाज के लोग 15 दिसंबर से अन्न और देह त्याग आंदोलन करने वाले है।
आदिवासी गोवारी समन्वय समिति ने अपने इस आंदोलन की जानकारी देते हुए कहाँ है कि शीतकालीन अधिवेशन के दौरान विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्यों द्वारा इस प्रश्न को उठाया गया। पर सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। लगभग चार दशकों से समाज के लोग अपनी इस माँग को लेकर आंदोलन कर रहे है। 23 नवंबर 1994 को नागपुर से 114 गोवारी समाज के लोग आंदोलन में शहीद हो गए। अदालत ने 14 अगस्त 2018 को समाज के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिया।
इस निर्णय में आदेश पर तत्काल अमल करने का आदेश भी दिया बावजूद इसके इस आदेश को चार महीने बीत जाने के बाद भी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी जिससे समाज में नाराजगी है।
अपनी इसी नाराज़गी को प्रदर्शित करने के लिए अन्न और देह त्याग का फैसला लिया गया। समिति का कहना है ही सरकार इस मसले को लेकर दोहरी भूमिका निभा रही है। राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने गोवारी समाज के आरक्षण के प्रश्न पर जल्द निर्णय लेने का भरोषा दिलाया था पर ऐसा अब तक नहीं हुआ।
सरकार आखिर क्या चाहती है इसे लेकर समाज में संभ्रम की स्थिति है। इसलिए 15 दिसंबर से नागपुर स्थित शहीद स्मारक में आंदोलन किया जायेगा।