– चल रही हैं प्रशिक्षण,अक्सर देखें जाते हैं निगम सचिव के कमरे में
नागपुर : नागपुर महानगरपालिका एक ऐसी संस्था हैं,जहाँ नियम के साथ परंपरा के आधार पर व्यवस्था चला करती हैं.इसका एक और नमूना जल्द ही देखने को मिलेंगा,जब नगर रचना विभाग के फरकासे को मनपा का अगला निगम सचिव घोषित किया जाएगा।
मनपा की आज की सूरत में मनपा आयुक्त और अतिरिक्त मनपा आयुक्त क्रमांक १ ही मूल हैं.शेष अतिरिक्त आयुक्त सह अन्य पद अतिरिक्त प्रभार के तहत भरे गए हैं.अतिरिक्त आयुक्त क्रमांक १ के पास मनपा की महत्वपूर्ण विभाग अर्थात संपत्ति कर विभाग की जिम्मेदारी हैं.क्यूंकि इसके अलावा उनके पास मदर डेरी सह कृषि विभाग की वनामति का प्रभार हैं.इनका मनपा से ज्यादा रुचिकर विषय मदर देरी व वनामति हैं.अर्थात इन्हें रोजमर्रा की झंझटों के बजाय मदर देरी व वनामति में मन लगता हैं.इसलिए वे ज्यादातर मनपा में नहीं दिखते। इसलिए भी मनपा में संपत्ति कर का वार्षिक टार्गेट पूरा करने में विभाग पर दबाव नहीं बन रहा.इस वर्ष का टार्गेट ५०० करोड़ का हैं लेकिन आजतक पूर्ण संपत्ति धारकों डिमांड नहीं मिला। वक़्त पर डिमांड वितरित की जाएंगी तो आधा भी टार्गेट पूरा नहीं हो पाएगा। सबसे बड़ी समस्या यह हैं कि सुझाव-शिकायत की संपत्ति कर विभाग में कोई सुनवाई नहीं।शिकायत पर जाँच पड़ताल करने के बजाय जिसके खिलाफ शिकायत हैं उसे मुख्यालय व जोन से जानकारी देकर अलर्ट कर शिकायतकर्ता से भिड़वा दिया जाता हैं.
अतिरिक्त आयुक्त २ व अतिरिक्त आयुक्त ३ प्रभारी जिम्मेदारी निभा रहे.मनपा का लेखा अधिकारी का प्रभार भी अतिरिक्त आयुक्त २ के पास होने से मनपा का कार्यभार अस्त-व्यस्त हो गया हैं.
उपायुक्त पद पर राजेश मोहिते बाहरी हैं,इनके पास स्वास्थ्य विभाग जैसी महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी हैं.यह विभाग भी अपने कारनामों के लिए हमेशा चर्चित रहता हैं.सम्पूर्ण शहर की स्वच्छता और स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की महती जिम्मेदारी पूर्ण करने में असफल रही,इस विभाग में जिम्मेदारियों को फुटबॉल की भांति एक-दूसरे पर धकेला जाता हैं,बावजूद इसके ‘आल इस वेल’ कहकर खुद की पीठ थपथपाई जाती हैं.दूसरी उपायुक्त भी मनपा की मूल कर्मी हैं लेकिन प्रभारी जिम्मेदारी संभाल रही.इनके पास महिला व बाल कल्याण के साथ उद्यान विभाग की जिम्मेदारी हैं,आजतक उक्त दोनों विभाग अंतर्गत कोई उल्लेखनीय काम नहीं किये जिससे कि उन्हें स्थाई उपायुक्त बनाया जाए.
मनपा में सबसे ज्यादा वार्ड अधिकारी मजे काट रहे,इनकी नियुक्ति वार्ड अधिकारी अर्थात ज़ोन प्रमुख पद के लिए हुई थी और बिना पदोन्नत के इसी पद पर सेवानिवृत्त होना था.
मनपा परंपरा यह हैं कि यहाँ कुछ भी संभव हैं,इसी बिना पर पूर्व आयुक्त जो कि सेवानिवृत्त होकर बिजली विभाग में तैनात हैं,उनके व सत्तापक्ष के संयुक्त निर्णय पर वार्ड अधिकारी मनपा मुख्यालय में न सिर्फ प्रवेश की बल्कि उन्होंने अपना पदनाम भी वार्ड अधिकारी से सहायक आयुक्त करवाने में सफलता प्राप्त की और तो और अब उपायुक्त पद पर पदोन्नत के लिए ललायित होकर जुगाड़ में भिड़ गए हैं.
मनपा में सैकड़ों कर्मी/अधिकारी सफेदपोशों के आशीर्वाद से मूल विभाग से दूर मलाईदार विभाग में तैनात हैं,इसलिए मनपा की कड़की दूर नहीं हो रही.मूल कर्मी-शिक्षक नेतागिरी में लीन हैं तो एवजदारों से कठोर मेहनत ली जा रही.
यह भी कड़वा सत्य हैं कि मनपा के मूल कर्मी रहते हुए इन्हें अकार्यक्षम घोषित कर विशेषज्ञ कार्यों के लिए ठेके पद्धति पर प्रकल्प सलाहकार नियुक्ति का खेल आज भी जारी हैं.तो दूसरी ओर जब ये मूल कर्मी खाकी धारियों की सेवा करते करते सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो इन्हें तोहफे के रूप में सम्बंधित कंपनियों में विशेषज्ञ के रूप में मोटी-मोटी मासिक वेतन पर ठेके पद्धति पर नियुक्त किये जाने का सिलसिला भी बदस्तूर जारी हैं.ऐसे कर्मियों को पेंशन भी मिला रहा अर्थात दोहरा लाभ उठा रहे.इसमें सोनावणे,सिद्दीकी,हस्तक आदि का प्रमुखता से समावेश हैं.
मनपा में पिछले लगभग एक दशक से मनपा का जनसम्पर्क अधिकारी नहीं हैं,इस पद पर एक सहायक शिक्षक को उसकी सेवानिवृत्ति तक कायम रखा गया और अब ठेके पद्धति पर तैनात बंदे को अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर उनसे काम निकाला जा रहा.
कुछ इसी तर्ज पर मनपा के प्रभारी निगम सचिव जिनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा,उनका सेवानिवृत्ति नवंबर में हैं,उसकी जगह ४ दिन के प्रभारी निगम सचिव रह चुके नगर रचना विभाग के सहायक अभियंता जो फ़िलहाल डेढ़ दशक से अधिक समय से मनपा स्थाई समिति का प्रभार संभाल रहे फरकासे,इन्हें अगला निगम सचिव पद पर पदोन्नति या फिर प्रभारी निगम सचिव उनकी सेवानिवृति तक बनाया जाएगा। इसके लिए अभी से ही माहौल बनाने का सिलसिला जारी हैं,वे अबतक निगम सचिव कार्यालय से कोसों दूर रहते थे,अब अक्सर निगम सचिव कार्यालय में देखे जा रहे,बताया जा रहा हैं कि वे ‘अंडर ट्रैंनिंग’ में हैं.
फरकासे को डेढ़ दर्जन से अधिक स्थाई समिति सभापति के कामकाज संभालने का अनुभव हैं,इन्होंने एक दर्जन डमी सभापति का कार्यकाल सफलता से निपटाने में महारत हासिल की.इनके समर्थकों का दावा हैं कि मनपा में असक्षम अधिकारी वर्ग के कारण पिछले डेढ़ दशक से ये ही भाजपा के स्थानीय दिग्गज नेताओं के वरदहस्त से वार्षिक बजट खुद के कार्यालय में बनाते आए.कई तो ऐसे सभापति भी मिले जो सिर्फ हस्ताक्षर करने तक सिमित रहे,इसलिए आयुक्त के नीचे के अमूमन सभी अधिकारी भी मौके-बे- मौके सलाह लेते देखे गए.वजन इतना हो चूका हैं कि वे अपने सामने किसे बैठाएंगे और उठाएंगे,कोई कुछ नहीं कहता सिर्फ मनममोस के रह जाते हैं.इनकी वजनदारी को देख मनपा के तथाकथित संचालक फरकासे को निगम सचिव बनाने को आतुर हैं,अर्थात मनपा में कुछ भी संभव हैं.