नागपुर: कर्जमुक्ति का ऐलान हो जाने के बाद भी किसान और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति ख़त्म नहीं रही है। सोमवार को मंत्रियो के समूह और सुकाणू समिति की बैठक बेनतीजा रही। इस बैठक के दौरान किसानों की तात्कालिक तौर पर दिए जाने वाले 10 हजार रूपए के कर्ज के लिए सरकार द्वारा रखी गई शर्त का किसानों ने विरोध किया है। इस संबंध में 14 जून को निकाले गये जीआर की कॉपी को जलाकर शेतकरी संगठन ने अपना विरोध दर्ज कराया। शेतकरी संगठन का कहना है की जीआर में जिस तरह की शर्ते डाली गयी है उससे 50 फ़ीसदी किसानों को लाभ नहीं मिलने वाला।
सरकार के साथ दो दफ़ा बैठक हो चुकी है लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। छोटे किसान बड़े किसान का जिक्र कर सरकार किसानों में फ़ूट डालने का काम कर रही है। जिस किसान के पास गाड़ी होगी,परिवार का कोई सदस्य नौकरी में होगा,आयकर रिटर्न भरने वाले किसान,नगरपालिका में नगरसेवक,एपीएमसी संचालक या फिर जिला परिषद सदस्य रहने वाले किसान को कर्ज नहीं मिलेगा यह शर्त फ़ुज़ूल है। शेतकरी संगठन का सवाल है की वेतन में वृद्धि होने पर क्या बढ़ोतरी सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारी की होती है। उच्च पद के अधिकारियों को भी इसका फ़ायदा दिया जाता है तो यह भेदभाव सिर्फ किसानों के मामले में क्युँ किया जा रहा है। सरकार का यह तुगलकी फ़रमान है जिसका विरोध किया जायेगा।