नागपुर: जिलाधिकारी कार्यालय परिसर स्थित तहसील कार्यालय के राजस्व विभाग में बावनखड़ी बांध के परियोजना पीड़ित किसानों ने सोमवार को जमकर हंगामा मचाया। एक्शन कमेटी नागपुर एनजीओ के नेतृत्व में आए इन किसानों ने कार्यालय में रखी कुर्सियों को फेंकते हुए अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी। इसके बाद जिलाधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि अगर उन्हें पुनर्वास पैकेज में उपलब्ध कराई गयी धनराशि तुरंत प्रदान नहीं की गयी तो वे सभी आत्मघाती कदम उठाने पर विवश हो जाएंगे।
एक्शन कमेटी के अध्यक्ष सचिन बिसेन ने जानकारी दी कि सिंचाई विभाग ने अपनी ओर से तकरीबन पूरी निधि उपलब्ध करा दी है। शेष बची 79 लाख रुपए भी जिलाधिकारी कार्यालय के खाते में उपलब्ध करा दी गई है। लेकिन ऑडिट का काम शुरू होने का हवाला देकर उन्हें कई दिनों से घुमाया जा रहा है। आंदोलन में आदिवासियों के साथ आदिवासी संगठक प्रमुख गोविंद उइके का नेतृत्व रहा।
बता दें कि 1984 से चल रहे इस परियोजना में 2011 में जाकर परियोजना पीड़ित आदिवासी किसानों कोे पुनर्वास निधि सिंचाई विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई थी। इसमें 5.42 करोड़ रुपए परियोजना पीड़ित 711 किसानों (जिसमें अधिकांश तौर से आदिवासी समाज के हैं) में वितरित किया जाना था। लेकिन सूची से बाहर के लोगों को निधि वितरण करने के बाद 311 किसान ऐसे हैं जिन्हें आवंटित निधि का लाभ नहीं मिल सका। एक्शन कमेटी के सचिन बिसेन ने कहा कि अपने अधिकार को पाने के लिए किसान लगातार जिलाधिकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
अपना खेत गांव की जमीन आदि देने के बाद किसानों के हाथ कुछ ना बचने से किसान परेशान हैं। आर्थिक तौर पर दुर्बल होने के कारण उनके पास संघर्ष करने की क्षमता नहीं बची है। ऐसे में किसानों के सामने आत्महत्या करने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचता। सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 60 किसान बावनथड़ी, पिंडकेपार, कारंजघाट, सुसुरडोह, कमकासुर, तांडड़ा, चिकनापुर, जोगीटोला व अन्य सात गांव से किसानों का समावेश था।