Published On : Mon, Mar 27th, 2017

नियम बनने के बाद भी खूब परोसा जा रहा है कागज के प्लेटों पर नाश्ता

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नागपुर
: न्यूज पेपर या मैगजीन के कागजों पर नाश्ता नहीं परोसे जाने की एफडीए के आदेश को नाश्ता बेचनेवाले गंभीरता से लेते नजर नहीं आ रहे हैं। या यू कहें कि आदेश पारित होने के बाद भी आदेश का पालन विभाग की ओर से सख्ती से नहीं कराया जा रहा है। नतीजतन लगाम के आभाव में बेरोकटोक नाश्ता बिक्रेता न्यूज प्रिंट के कागजों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।

अन्न व औषधि प्रशासन विभाग की ओर से हालही के महीनों में एक आदेश जारी किया गया था। जिसमें नाश्ते और खान पान के दुकानदारों को कागज की प्लेटों में नाश्ता नहीं पसोसने के आदेश शामिल थे। दरअसल यह आदेश इसलिए पारित किया गया था क्योंकि जांच में पाया गया था कि अखबारों और मैगजीनों के पेपर में उपयोग में लाई जानेवाली श्याही(इंक) में डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट, डाइ-एन- आईसोब्यूटाइलेट और अन्य कई प्रकार के हानिकारक पदार्थ होने से स्वास्थ्य को बुरा असर पड़ने का संभावना विषेशज्ञों द्वारा जताई जाती है। हालांकि न्यूज प्रिंट के लिए इस्तेमाल में लाई जानेवाली इंक नॉन टॉक्सिक होने का भी दावा किया जाता है। लेकिन फिर भी गर्म नाश्ते के कारण इंक पिघल कर नाश्ते में मिलने की संभावना को देखते हुए न्यूज प्रिंट के कागजों को खाने के इस्तेमाल में लाए जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी अमल ना होने की स्थिति को लेकर अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त मिलिंद देशपांडे कहते हैं कि कार्रवाई करने से पहले लोगों में इस विषय को लेकर जागरुकता लाना बड़ा मकसद है। यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है। इसलिए लोगों को ही नाश्ता आदि कागज के प्लेट में लेने से इंकार करना चाहिए। कुछ दिनों बाद जागरुकता आने के बाद कार्रवाई की शुरू की जाएगी। बता दें कि नाश्ते की दुकानों में समोचा, कचोरी से लेकर पोहा जलेबी कई खाद्य सामग्रियां कागज के प्लेट में परोसी जाती हैं। जिसका स्वास्थ्य पर गलत असर होता है।

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