Published On : Tue, Jun 5th, 2018

मॉनसून सत्र को लेकर व्यस्त है एफडीए, बर्फ की कार्रवाई पर बेतुका जवाब

नागपुर : बर्फ उत्पादक व्यापारियों को खाद्येत्तर बर्फ़ को बनाने के लिए नीला रंग इस्तेमाल में लाना होगा. जबकि सफ़ेद बर्फ खाने उपयोगी. इसकी नियमावली भी बनी. 1 जून 2018 से इसे अमल में लाया जाना था, लेकिन नागपुर के अन्न विभाग के अधिकारियों ने शहर के किसी भी बर्फ फैक्ट्री में न तो जांच की और न ही इसके लिए कोई टीम बनाई. अब इसे लेकर विभाग ने बेतुका जवाब देते हुए कहा कि 1 जून से बर्फ के लिए भले ही बनी हो लेकिन अगले महीने नागपुर में मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है जिसकी तैयारियों में वे व्यस्त हैं. तो वहीं दूसरा जवाब यह मिला कि अभी बारिश शुरू हो चुकी है और बर्फ का उपयोग भी कम हो गया है. जिसके कारण भी जांच नहीं हो पाई है. इससे यह समझा जा सकता है कि नागपुर शहर के अन्न विभाग के अधिकारी नागपुरवासियों के स्वास्थ को लेकर कितने गंभीर हैं.

ध्यान रहे कि राज्य की अन्न सुरक्षा आयुक्त डॉ. पल्लवी दराडे ने पिछले महीने आदेश दिया था कि खाने उपयोगी बर्फ को पीने के पानी से ही बनाया जाए. साथ ही वह पूरी तरह से सफ़ेद होना चाहिए और जो बर्फ खाने के लिए उपयोग में नहीं होता है उस बर्फ पर उत्पादनकर्ताओं को थोड़े प्रमाण में नीला रंग डालना (इंडिगो कारमाईन या ब्रिलियंट ब्लू एफसीएफ ) अनिवार्य होगा. इस पर अमल नहीं होने पर बर्फ उत्पादनकर्ताओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. पिछले महीने शहर के बड़े बर्फ उत्पादकों को अन्न विभाग में बुलवाकर मार्गदर्शन भी किया गया था. 1 जून से इस नियम पर अमल होना था लेकिन शहर में किसी भी जगह पर नीला बर्फ दिखाई नहीं दे रहा है. इसका मतलब साफ़ है कि पीने के लायक जो पानी नहीं है उसी से ही सफेद बर्फ बनाया जा रहा है और नागरिकों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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बर्फ की जांच को लेकर अन्न विभाग के सहायक आयुक्त मिलिंद देशपांडे ने बताया कि अभी किसी की भी जांच नहीं की गई है. अगले महीने विधानसभा नागपुर का मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है. जिसके कारण सभी कर्मचारी और अधिकारी व्यस्त है. साथ ही इसके देशपांडे ने यह भी कहा कि अभी बारिश शुरू हो चुकी है इसलिए बर्फ का उपयोग भी लोग कम कर रहे हैं.

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