नागपुर: महानगर में बसे हरेक मार्केट का अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह ऐसे मार्केट्स हैं, जो विदर्भ के साथ-साथ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में भी अपनी अहमियत रखते हैं. इन्हीं में से एक सीताबर्डी में वर्ष 1995 में फूल मार्केट स्थापित हुआ. जो आज प्रशासन की अनदेखी के कारण उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. यहां फूलों की सुगंध की बजाय मनपा द्वारा बनाए गए कचराघर से गंदगी के साथ दिनभर रह-रह कर बदबू उठती रहती है. इसके चलते व्यापारियों के साथ ग्राहकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
वहीं मार्केट में बने कचराघर के पास कमर जितना गहरा गड्ढा हो गया है, जिसके चलते मार्केट आनेवाले कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो गए. कुछ दिन पहले इस गड्ढे में फंसकर रिक्शा पलट गया था. जेसीबी के कारण कचराघर की दीवार ही टूट गई. इसके चलते कचराघर का पूरा कचरा सड़क तक आ जाता है.
बारिश के कारण हाल और अधिक बेहाल हो गए हैं. इसके चलते यहां से आने-जाने में व्यापारियों और ग्राहकों को तकलीफों का सामना भी करना पड़ रहा है. मार्केट में इतना बड़ा जानलेवा गड्ढा होने के बावजूद प्रशासन इसकी सुध लेने की बजाय किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार करने में लगा हुआ है. जब कोई दुर्घटना घटेगी, तब प्रशासन की कुंभकर्णी नींद खुलेगी. दिनोदिन बढ़ती जा रही तकलीफ की वजह से परेशान व्यापारी आज भी एपीएमसी द्वारा गणेशपेठ, बस स्टाप के पास स्थित जगह पर बनाए जाने वाले एयरकंडीशंड फूल मार्केट के इंतजार में हैं.
यहां से हटे कचराघर:
व्यापारी अरुण वाघुलकर के साथ अन्य व्यापारी बताते हैं कि फूल मार्केट 1947 में काटन मार्केट में स्थापित हुआ था. जिसके बाद वहां बनी नई बिल्डिंग में व्यापारियों की व्यवस्था की गई थी. इसके पश्चात जयश्री टाकीज के सामने वाले प्रदर्शनी ग्राउंड में जगह दी गई. इसी वर्ष इसे बर्डी में शिफ्ट कर दिया गया. यहां आज लगभग 23 वर्ष होने के बावजूद मार्केट की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. इसी मार्केट में सब्जी, दही और मछली का साप्ताहिक बाजार भी भरता है. इसके चलते यहां इतनी अधिक गंदगी और बदबू फैली रहती है कि फूलों का व्यापार करना मुश्किल हो जाता है. मछली के साप्ताहिक बाजार और मनपा द्वारा बनाए गए कचराघर से बहुत अधिक परेशानी होती है. यहां के आसपास के 2-3 वार्डों का कचरा और होटलों का बचा हुआ खाना यहां लाकर फेंका जाता है. स्थिति ऐसी बन जाती है कि कचरा पूरा सड़क पर और फूल मार्केट की गलियों तक फैल जाता है. व्यापारियों को इस कचराघर से होने वाली दिक्कतों को देखते हुए प्रशासन को शीघ्र ही इसे और कहीं शिफ्ट करना चाहिए.
हमेशा चोक रहती है ड्रेनेज लाइन:
एक अन्य व्यापारी बताते हैं कि यहां की ड्रेनेज लाइन हमेशा चोक रहती हैं. मार्केट के पास ही मनपा का स्वीपर का कार्यालय होने के बावजूद यहां किसी तरह की सफाई नहीं की जाती. इससे फूल मार्केट की पांचवीं गली बारिश में पानी से भर जाता है. ड्रेनेज लाइन और बजबजाती गंदगी से निजात दिलाने के लिए मनपा में कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा कभी व्यापारियों की नहीं सुनी जाती. मनपा को सबसे अधिक रेवेन्यू इस मार्केट से जाता है. मनपा द्वारा 12 प्रतिशत का सर्विस टैक्स लिया जाता है और प्रतिवर्ष किराये में 10 प्रतिशतकी बढ़ोतरी होती है. इसके बावजूद व्यापारियों को किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. मछली और सब्जी बाजार वालों का फैला कचरा व्यापारियों को साफ कर अपनी दूकानें लगानी पड़ती हैं.