नागपुर: बिजली बिल बकायदार किसानों के लिए राज्य के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा मुख्यमंत्री कृषि संजीवनी योजना 2017 शुरू की गयी है। इस योजना का नागपुर में ऐलान करते हुए ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया की इस योजना के तहत किसान सिर्फ मूल बिल भरकर अपने कनेक्शन को चालू रख सकता है। उन्होंने यह भी साफ़ किया की अब बिजली बिल की वसूली को लेकर किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।
सोमवार से जारी योजना के तहत आगामी एक हफ़्ते के भीतर जो किसान बीते महीने आये बिजली के बिल का भुगतान करेगा उसे ही आगे बिजली की आपूर्ति की जाएगी। अगर फिर भी बिलो का भुगतान नहीं किया जाता है तो महावितरण द्वारा सख्त कार्रवाई कर बिजली के कनेक्शन कांटने के अलावा दूसरा जरिया नहीं होगा। ज्ञात हो की बीते कुछ दिनों से महतवितरण अपने बकाए ने लिए लगातार किसानो के कनेक्शन कांट रही है। कांग्रेस का आरोप है की अकेले पूर्व विदर्भ में किसानो के 16 हजार बिजली कनेक्शन कांट दिया गया। इस आरोप पर ऊर्जा मंत्री ने यह तो माना की ऐसी कार्रवाई हुई लेकिन उन्होंने इन आकड़ो को गलत बताया।
ऊर्जा मंत्री ने साफ़ किया की आगामी हफ़्ते भर में जो किसान अपना वर्तमान बिल भर देंगे उनके कनेक्शन को फिर से सुचारु कर दिया जायेगा। मंत्री द्वारा बतायें गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 से राज्य के किसानो पर 19 हजार 272 करोड़ रूपए का बिल बकाया है जिसमे से 10,890 करोड़ रूपए मूल बिल जबकि 8164 करोड़ रूपए का ब्याज और 218 करोड़ रूपए की पैनल्टी किसानो पर है। इस योजना का मकसद किसानों को सिर्फ उनका मूल बिजली बिल भुगतान का बेहतर विकल्प उपलब्ध कराना है। इसके लिए उन्होंने एक वर्ष का समय भी दिया जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री के अनुसार राज्य में बिजली की कमी नहीं है लेकिन बिजली रोज खरीदनी पड़ती है। महावितरण की हालत भी ठीक नहीं है अगर बकाया बिल किसानो द्वारा नहीं भरा जाता है तो आने वाले समय में राज्य को लोडशेडिंग का सामना करना पड़ सकता है।
नुकसान की भरपाई के लिए इसके अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। यह योजना राज्य के 41 लाख किसानो के लिए लागू है। किसानो को उपलब्ध कराये गए बिजली के कनेक्शन में 25 लाख 41 हजार मीटर है जबकि 15 लाख 41 हजार मीटर कनेक्शन ऐसे है जो रजिस्टर्ड ही नहीं है। ऐसे कनेक्शन को हॉर्सपवार से सप्लाय दी जाती है। जिसके लिए लगभग सवा लाख रूपए का खर्च आता है लेकिन किसानो से 3 से साढ़े सात हजार रुपए लिए जाते है। किसानो पर बिजली पहुँचने का खर्च साढ़े छह रूपए प्रति यूनिट आता है जबकि उन्हें क्रॉस सब्सिडी देकर उनसे 1 रूपए 80 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाती है। इस नुकसान की भरपाई के लिए 7500 करोड़ क्रॉस सब्सिडी से और 4500 करोड़ रूपए सरकार देती है।
इंस्टॉलमेंट में किसान कर सकते है बिल का भुगतान
इस योजना को इंस्टॉलमेंट में विभाजित कर लागु किया गया। जिसमे सभी किसानो को अपना चालू बिल आगामी हफ्ते में भरना ही होगा। इसके बाद जिनका बिल 30 हजार से कम है वह पांच इंस्टॉलमेंट में और जिन किसानो का बिल 30 हजार से ऊपर है वह 10 इंस्टॉलमेंट में बिल भर सकते है। बिलो का भुगतान दिसंबर 2018 तक किया जा सकता है।
सरकारी विभागों पर बकाया है डेढ़ हजार का बिल
बिजली बिल के भुगतान न करने में सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि सरकारी विभाग भी पीछे नहीं है। ऊर्जा मंत्री के अनुसार सिर्फ स्ट्रीट लाइट का ढाई सौ करोड़ का बिल बकाया है। इसके अलावा ग्राम विकास विभाग,नगर विकास विभाग पर भी करोडो का बिल बकाया है। बिजली बिल का भुगतान न होने की वजह से महावितरण को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उनके द्वारा सरकार से अपील की गयी है की 14 वित्त आयोग द्वारा ऐसी एजेंसियों को उपलब्ध कराई जाने वाली निधि सीधे ऊर्जा विभाग को दे दी जाए। हालांकि ऊर्जा मंत्री ने खुद माना की ऐसा फ़िलहाल संभव नहीं है पर वह सरकार से नियम बदलने की गुजारिश करेंगे।
नवंबर माह के अंत से शुरू हो जायेगा सोलर एनर्जी प्रकल्पो का काम
राज्य सरकार किसानो को वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत सोलर के माध्यम से बिजली आपूर्ति करने की दिशा में बढ़ रही है। ऊर्जा मंत्री ने बताया की नवंबर माह के अंत से 200 मेगावॉट बिलजी उत्पादन के प्रकल्प का काम शुरू हो जाएगा मार्च 2018 में 500 मेगावॉट बिजली सोलर से निर्मिति का लक्ष्य है। इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार की जमीन का इस्तेमाल किया जायेगा। जहाँ सरकारी जगह उपलब्ध नहीं होगी वहाँ किसानो से किराए पर जमीन ली जाएगी।
सरकार की कार्रवाई का किसानो ने किया विरोध
बकाए बिल के भुगतान को लेकर शुरू कार्रवाई के बीच किसानो ने अपनी नाराजगी जताई है। जिले में जिन किसानो के कनेक्शन काँटे गए वह जिलाधिकारी कार्यालय में जमा होकर अपनी नाराजगी जताई। इन किसानो ने ऊर्जा मंत्री से मिलकर अपनी बात भी रखी। किसानो का कहना है की बाजार में उनके द्वारा उत्पादित फसल का भाव बेहद कम मिल रहा है जिससे वह अपना वर्तमान बिल भी नहीं भर सकते ऐसी सूरत में सरकार उनकी समस्या को संजीदगी से लेकर कोई फैसला ले।