नागपुर: पतंजलि हर्बल फ़ूड पार्क का शनिवार 10 सितंबर 2016 को उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम के ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार ने बाबा रामदेव को नियमो को ताक पर रखकर बेहद कम दाम में जमीन उपलब्ध कराने का आरोप लगाया था। मुत्तेमवार द्वारा लगाए गए आरोप पर इसी कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से सफ़ाई दी। गड़करी ने कहा बाबा रामदेव को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी गई उन्हें नियमो के हिसाब से ही जमीन उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने बाबा पर कोई एहसान नहीं किया है। यह जमीन अविकसित है और यह स्पेशल इकनोमिक जोन में भी नहीं आती मुख्यमंत्री ने सभी नियमो का पालन किया। बाबा व्यापारी या उद्योगपति नहीं है। उन्होंने जो कुछ कमाया है वह योग, आयुर्वेद, शिक्षा और समाज के माध्यम से देश को वापस लौटा रहे है। बाबा को जानबूझ कर फायदा पहुँचाने का आरोप निराधार और राजनितिक है।
वही मुख्यमंत्री ने भी आरोप की सफ़ाई देते हुए कहा कि इस जमीन का तीन बार टेंडर निकाला गया पर पतंजलि के अलावा किसी ने जमीन खरीदने की दिलचस्पी नहीं दिखाई। अगर तीन बार टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी ही भाग लेती है तो सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर के नियम के हिसाब से उसी कंपनी को जमीन दी जा सकती है। पतंजलि ने तय मूल्य से ज्यादा पैसे जमीन के लिए चुकाएँ है। औद्योगिक क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग को जमीन देने के संबंध में सरकार ने प्रधान सचिव स्तर के अधिकारियों की चार सदस्यो की समिति ने जो नियम और मापदंड तय किये थे उसी से आधार पर जमीन दी गई है। बाबा ने वादा किया है कि वह विदर्भ के किसानों की सूरत बदल देंगे।
बाबा रामदेव ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह ईमानदारी ने काम करते है। नागपुर देश का भोगौलिक केंद्र है इसलिए विश्व के सबसे बड़े फ़ूड पार्क को बनाने का निर्णय मिहान में लिए गया और उसके लिए पैसे भी चुकाए गए। बालकृष ने कहा कि जमीन लेने के लिए सभी नियमो का खुद पतंजलि ने पालन किया है। यह जमीन किसानों से ली गई थी पर इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ। आरोप निराधार है हम ने आज ही सेज (sez) में सरकार द्वारा तय रेट से 60 एकड़ जमीन के लिए 10 करोड़ रूपए चुकाए है। जो जमीन हमने 25 लाख रूपए एकड़ के भाव से ली है वहाँ तो न पानी है न बिजली है और न ही सड़क है।
दूसरी ओर बाबा को सत्ता के माध्यम से भाजपा पर फायदा दिलाने का आरोप लगाने वाले विलास मुत्तेमवार अब भी अपने आरोपो पर कायम है। उनके आरोपो पर पतंजलि और सत्ताधारियो द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को उन्होंने लीपापोती करार दिया है। उनके मुताबिक जमीन मिहान के अंतर्गत ही है और किसानों से औद्योगिक विकास के लिए ही ली गई है। विकसित-अविकसित जमीन की दलील नाकाफ़ी है। आज बाबा तय दाम में जमीन खरीद सकते है, तो सारी जमीन उसी भाव से क्यूँ नहीं खरीदी। बाबा को फायदा पहुचाने के लिए भाजपा से तंत्र को अपने हिसाब से विकसित किया।