Published On : Sat, Sep 12th, 2020

आधा नागपुर में आज कचरा संकलन बंद

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– ठेकेदार कंपनी AG ENVIRO ने हज़ारों कर्मियों का २ माह से वेतन तो दिया नहीं और न ही उनका PF भरा

नागपुर : पिछले डेढ़ दशक तक शहर का कचरा संकलन करने वाली को हटा कर पूर्व मनपायुक्त अभिजीत बांगर ने विवादस्पद कंपनी AG ENVIRO और BVG को लांच किया था.इन्हें शुरुआत में ही 510 रूपए टन ज्यादा रूपए यह कहकर देने का निर्णय लिया गया कि उक्त कंपनियां जमीन पर कचरा गिरने नहीं देंगे।लेकिन उनकी सोच के विपरीत अबतक डेढ़ दर्जन दफे कर्मियों ने विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल कर बांगर के मंसूबे पर पानी फेर दिया।उसी क्रम में कल दोपहर बाद से AG ENVIRO के कर्मियों का हड़ताल जारी हैं.इसके कारण आधा शहर में कल से कचरा नहीं उठा.

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मनपा प्रशासन ने KANAK को बेदखल कर विवादस्पद कंपनी AG ENVIRO और BVG को शहर का 2 भाग कर 5-5 जोन क्षेत्र अंतर्गत कचरा संकलन का जिम्मा दिया गया.इन दोनों कंपनी का कर्मियों के प्रति रुखा व्यवहार और गैर मार्ग से बिल बनाने के हथकंडे से नागपुर में भी विवादों में पिछले 8 माह से घिरे हुए हैं.इन कंपनियों ने कचरा की जगह मलवे,मिटटी जैसे भारी वजनदार सामग्री उठाने में ज्यादा रूचि दिखाई,वह भी खुलेआम।इस ग़ैरकृतों में मनपा के शीर्ष अधिकारी से लेकर जोनल अधिकारी सह मनपा कारखाना विभाग ने भी अपने-अपने अंदाज से हाथ धो लिए.प्रशासन तक इनकी खबर पहुँचाने वालों को ही दोषी ठहराया गया.

कल दोपहर बाद AG ENVIRO के अंदाजन 1250 कर्मियों ने काम बंद कर दिया।आज शनिवार को जोन क्रमांक 1 से लेकर ज़ोन क्रमांक 5 अंतर्गत क्षेत्रों का कचरा संकलन पूर्णतः बंद कर दिया गया,वह भी तब इस कोविड-19 के काल में.

इस सन्दर्भ में हड़ताल कर रहे कर्मियों ने जानकारी दी कि उन्हें AG ENVIRO प्रबंधन ने पिछले २ माह से वेतन नहीं दिया और न ही उनके हिस्से का PF सम्बंधित कार्यालय में भरा.जबतक उनकी जायज मांग पूर्ण नहीं हो जाती तबतक आंदोलन जारी रहेगा।

AG ENVIRO प्रबंधन के करीबी ने बताया कि कंपनी के 17 कॉम्पेक्टरों में टायर नहीं हैं,इसलिए जहाँ के तहाँ खड़ी हैं.जिसका नज़ारा जयताला,वाठोड़ा और मनपा वर्कशॉप परिसर में देखा जा सकता हैं.भांडेवाड़ी में भी ख़राब हुए गाड़ियां महीनों से जस के तस खड़ी हैं,जिसको पुख्ता करने के लिए भांडेवाड़ी में स्थित कांटा के दस्तावेज का अंकेक्षण किया जा सकता हैं.उक्त कर्मियों का एकमत हैं कि पुराने ठेकेदार कंपनी KANAK की कार्यशैली ही ठीक थी,कर्मियों को समय पर वेतन और प्रशासन के निर्देशों का तत्काल पालन हुआ करता था.

मनपा WORKSHOP विभाग पहले KANAK के कार्यकाल में जितना सक्रिय था आज उतना ही निष्क्रिय हैं,क्या विभाग के अधिकारी-कर्मी भी उक्त दोनों कंपनियों के दबाव में हैं ?

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