– उच्च न्यायालय ने मनपा प्रशासन से 2 सप्ताह के भीतर जवाब माँगा
नागपुर – बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने मनपा को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें पूछा गया है कि शहर में 1 लाख से अधिक आवारा कुत्तों को बसाने के लिए क्या उपाय किए जाएंगे. विजय तालेवार और मनोज शाक्य ने उक्त मामले को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल कर शहर में आवारा कुत्तों को रोकने के आदेश की मांग की है।
इस मामले में न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति गोविंद सनप के समक्ष सुनवाई हुई। 2006 में जब याचिका दायर की गई थी तब शहर में 34 हजार आवारा कुत्ते थे। 2018 तक यह संख्या बढ़कर 81 हजार हो गई और आज यहां 1 लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं।
काटोल के पांच साल के बच्चे को कुछ दिन पहले आवारा कुत्तों ने कुचलकर मार डाला था। शहर में भी कुत्ते के काटने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। पिछले तीन साल में 8 हजार 843 लोगों को कुत्तों ने काटकर घायल कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अदालत के संज्ञान में लाया कि मनपा मौन है। न्यायालय ने इस अर्जी पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मनपा को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया कि शहर में आवारा कुत्तों से निपटने के लिए क्या उपाय किए जाएंगे. इसमें कुत्ते के टीकाकरण और रेबीज इंजेक्शन की स्थिति की जानकारी भी प्रस्तुत करने का उल्लेख किया गया। याचिकाकर्ताओं के वकील फिरदौस मिर्जा ने उनका पक्ष रखा।
इसके पूर्व न्यायमूर्ति जे. एन. पटेल ने 14 जून 2006 को मनपा को आवारा कुत्तों के लिए काम करने वाले पशु-प्रेमी गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर एक नीति तैयार करने का आदेश दिया था। इस नीति के अनुसार, गैर सरकारी संगठनों को शहर के विभिन्न हिस्सों को उस क्षेत्र में आवारा कुत्तों को पंजीकृत करने, नगर पालिका से लाइसेंस प्राप्त करने और कुत्तों को आश्रय, भोजन और उपचार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी देनी थी।इसके अलावा, ये संगठन किसी व्यक्ति को आवारा कुत्ते द्वारा काटे जाने पर मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार थे। इस नीति का क्या हुआ? कोर्ट ने इस निर्णय पर किये गए उपाययोजना की जानकारी मांगी।