Published On : Mon, Feb 6th, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

भगवान ने बोला है कि सभी एक हैं, कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था: RSS प्रमुख

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS)प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में कहा, हमारी समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी है. जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया?

मुंबई : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने आज रविवार को जाति और वर्ण व्यवस्था को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, हमारी समाज के प्रति भी ज़िम्मेदारी है. जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नही है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था.

बता दें कि संघ प्रमुख भागवत का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब रामचरित मानस और जातिवाद को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है.

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख भागवत ने कहा, संत रविदास ने कहा कर्म करो, धर्म के अनुसार कर्म करो. पूरे समाज को जोड़ो, समाज की उन्नति के लिए काम करना यही धर्म है. सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है और यही वजह है कि समाज के बड़े-बड़े लोग संत रविदास के भक्त बनें.

संघ प्रमुख भागवत ने कहा, काशी का मंदिर टूटने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को खत लिखकर कहा था कि ‘हिंदू-मुसलमान सब एक ही ईश्वर के बच्चे हैं. आपके राज में एक के ऊपर अत्याचार हो रहा है, वह गलत है. सब का सम्मान करना आपका कर्तव्य है. अगर यह नहीं रुका तो तलवार से इसका जवाब दूंगा’.

बता दें कि संघ प्रमुख भागवत का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब रामचरित मानस और जातिवाद को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. सनातन , हिन्दू, मुस्लिम, धर्मांतरण, ऊँच -नीच को लेकर माहौल गर्माया है.

लोग नौकरियों के पीछे भागना बंद करें
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि श्रम के प्रति सम्मान की भावना नहीं होना देश में बेरोजगारी के मुख्य कारणों में से एक है. भागवत ने लोगों से सभी तरह के काम का सम्मान करने का आग्रह करते हुए उनसे नौकरियों के पीछे भागना बंद करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी समाज 30 फीसदी से ज्यादा रोजगार सृजित नहीं कर सकता.

सभी तरह के काम का सम्मान करें
भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘लोग चाहें किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. श्रम के लिए सम्मान की कमी समाज में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है. काम के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या ‘सॉफ्ट’ कौशल की – सभी का सम्मान किया जाना चाहिए.

कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां उत्पन्न नहीं कर सकता
आरएसएस प्रमुख ने कहा, हर कोई नौकरी के पीछे भागता है. सरकारी नौकरियां केवल 10 प्रतिशत के आसपास हैं, जबकि अन्य नौकरियां लगभग 20 प्रतिशत हैं. दुनिया का कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां उत्पन्न नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि जिस कार्य में श्रम की जरूरत होती है, उसका अभी भी सम्मान नहीं किया जाता.

अस्पृश्यता से परेशान होकर, डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया, लेकिन…
मोहन भागवत ने कहा कि देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जो खेती से बहुत अच्छी आय अर्जित करने के बावजूद विवाह करने के लिए संघर्ष करते हैं. उन्होंने कहा कि विश्व में स्थिति देश के ‘विश्वगुरु’ बनने के अनुकूल है. उन्होंने कहा कि देश में कौशल की कोई कमी नहीं है, लेकिन हम दुनिया में प्रमुखता हासिल करने के बाद अन्य देशों की तरह नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त अस्पृश्यता का संतों और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे जानेमान लोगों ने विरोध किया. आरएसएस प्रमुख ने कहा, अस्पृश्यता से परेशान होकर, डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया. लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म को नहीं अपनाया और गौतम बुद्ध द्वारा दिखाए गए मार्ग को चुना. उनकी शिक्षाएं भारत की सोच में भी बहुत गहराई तक समाई हुई हैं.

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