बोगस लाभार्थी दर्शाकर १५ लाख रूपये की राशि २ प्रकल्प अधिकारियों ने डकारी
गोंदिया: आदिवासियों के कल्याण के लिए सरकारी योजनाओं में पद का दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार करनेवाले दो तत्कालीन प्रकल्प अधिकारियों के खिलाफ देवरी थाने में २ जनवरी को धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। घटना गोंदिया के देवरी स्थित एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प कार्यालय देवरी में वर्ष २००४ से २००६ के दौरान घटित हुई। तब २००४-०५ में प्रकल्प अधिकारी पद पर रहते हुए ६५ वर्षीय आरोपी तथा वर्ष २००५-०६ में प्रकल्प अधिकारी पद पर तैनात ६२ वर्षीय आरोपी ने आदिवासी विकास के मार्फत शुरू की गई कन्यादान योजना अंतर्गत मंगलसूत्र वितरण, जीवन उपयोगी बर्तन वितरण तथा गरीब आदिवासीयों को गाय वितरण योजना में खुद के फायदे के लिए गैरकानूनी तरीके से १५ लाख ७ हजार ६०८ रुपये की शासकीय निधि का गबन करते हुए सरकार के साथ धोखाधड़ी की।
इन अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद उनकी जगह पदस्थ हुए अधिकारियों ने जब फाईलें खंगाली तो उन्हें गड़बड़ी समझ में आयी, जिसका अहवाल उन्होने शासन को भेजा, इसी तरह के गड़बड़ी की शिकायतें महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से सरकार तक पहुंची, जिसके बाद शासन ने आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जांच हेतु गायकवाड़ कमेटी का गठन किया।
अब गायकवाड़ समिति द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के बाद इस घटित फर्जीवाड़े के प्रकरण के संदर्भ में दोनों तत्कालीन भ्रष्ट प्रकल्प अधिकारियों के खिलाफ देवरी थाने में अपक्र. ०१/२०२० के भादंवि ४०९, ४२० का जुर्म दर्ज किया गया है।
पुलिस सूत्रों ने जानकारी देते बताया कि, एफआयआर कल दाखिल हो चुका है, आरोपी अटक होना बाकि है। गायकवाड़ कमेटी के इन्वेस्टीगेशन (चौकसी) के माध्यम से सहा. प्रकल्प अधिकारी (भंडारा) फिर्यादी महानंदा अंबादे की शिकायत पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ ४०९, ४२० का मामला दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी वर्ष २००४-०५ था २००५-०६ में देवरी प्रकल्प अधिकारी पद पर तैनात थे। इस विभाग में गड़बड़ झाला आगे भी है, लेकिन अभी गायकवाड़ समिति ने २ वर्ष की अहवाल रिपोर्ट भेजी है, जिनमें १५ लाख ७ हजार ६०८ रूपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है। मामले की गहन जांच पड़ताल देवरी थाने के पुलिस उप निरीक्षक अशोक अवचार द्वारा की जा रही है।