डिस्क के सहारे एंबुलेंस 100 मीटर तक रगड़ खाते आगे बढ़ी, सांसे थमी
गोंदिया। मेडिकल इमरजेंसी के हालात में किसी गंभीर मरीज की जान पर बन आए तो संकट को टालने के लिए आपातकालीन परिस्थितियों में 108 एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की जाती है।
गाड़ी कोई भी हो पहिए पर ही चलती है वहीं पहिया अगर निकल जाए तो हादसा घटते देर नहीं लगती ?
सड़क पर दौड़ते समय अचानक इमरजेंसी सेवा में लगी 108 एंबुलेंस का चक्का (टायर ) गोरेगांव तहसील के ग्राम तुमखेड़ा के पास निकल गया।अचानक चक्का निकलने से डिस्क के भरोसे तीन पहियों के बदौलत एंबुलेंस 100 मीटर तक सिमेंट सड़क से रगड़ खाते आगे बढ़ गई इस दौरान एंबुलेंस में सवार मरीज और उसके परिजनों की सांसे थमी रही।
गनीमत है कि हादसे के वक्त एंबुलेंस गोंदिया से सटे ग्राम तुमखेड़ा के रिहायशी इलाके से गुजर रही थी और उसकी स्पीड 35 से 40 किलोमीटर के बीच थी इसलिए ड्राइवर ने ब्रेक मारा और एंबुलेंस को कंट्रोल कर लिया गया।
अगर यही घटना नेशनल हाईवे पर 80 की स्पीड में हुई रहती तो संतुलन जरा सा इधर से उधर होने पर बड़ा हादसा हो जाता।
जिंदगी का मोल इमरजेंसी के हालात समझते हैं
जानकारी के मुताबिक गोरेगांव तहसील के ग्राम गणखैरा निवासी 62 वर्षीय जनिराम हिरजी कांबड़े इनकी सेहत 20 अगस्त को खराब होने पर गोंदिया केटीएस अस्पताल लाया गया।
मरीज का सिटी स्कैन करवाने पर पता चला उनके हार्ट में सूजन है तथा फेफड़ों में पानी भरा है।सेहत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उन्हें नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर करने का फैसला लिया , लेकिन एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी।
लेकिन वो कहते हैं ना जिंदगी का मोल इमरजेंसी के हालात समझते हैं , ऐसे मुश्किल भरे वक्त में जरूरत होती है एक साथी की तरह हाथ बढ़ाकर मदद करने वाले की ?
लिहाज़ा गोंदिया अग्निशामक विभाग में ड्राइवर पद पर कार्यरत अशोक जनिराम कांबड़े ने पूर्व नगरसेवक तथा जय श्री महाकाल सेवा समिति के अध्यक्ष लोकेश (कल्लू ) यादव से संपर्क साधा तथा अपने पिताश्री की बिगड़ती सेहत के बारे में उन्हें जानकारी देते 108 एंबुलेंस उपलब्ध कराने में मदद की गुहार लगाई।
लोकेश यादव ने तुरंत केटीएस अस्पताल के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों से बात की जिसके बाद 28 अगस्त रविवार के दोपहर 2 बजे के आसपास एंबुलेंस क्रमांक MH14/ CL 0761 उपलब्ध करा दी गई और वह मरीज तथा उसके 3 परिजनों को लेकर नागपुर की ओर दौड़ पड़ी इसी दौरान ग्राम तुमखेड़ा के निकट एंबुलेंस के पिछले हिस्से का चक्का अचानक निकल गया , अब पता चल रहा है कि उस एंबुलेंस मैं लगा ऑक्सीजन का सिलेंडर भी लिकेज था।
गौरतलब है कि नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के 108 एंबुलेंस का नियमित फिटनेस टेस्ट देखा जाना बहुत जरूरी होता है तथा लंबे रूट पर एंबुलेंस को भेजने के पहले एंबुलेंस में लगे स्वास्थ्य उपकरणों और टायरों की जांच की जाती है इस मामले में लगता है बहुत बड़ी अनदेखी हुई है।
अलबत्ता एंबुलेंस का चक्का (टायर) निकलने की सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया तुरंत दूसरी एंबुलेंस MH14 /CL 0470 यह मौके पर भेजी गई ।
जानकारी मिलते ही लोकेश कल्लू यादव भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे तथा हांफते मरीज़ जनीराम कांबले को उस एंबुलेंस में नर्स की मदद से शिफ्ट किया गया तथा मरीज की पत्नी शकुंतला बाई और उनके बेटे अशोक को लेकर यह एंबुलेंस नागपुर मेडिकल कॉलेज की ओर रवाना हुई ।
इस सारी अव्यवस्था (उठापटक ) के चलते मरीज को नागपुर मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में 2 घंटे का विलंब हो गया।
अब इस घटना के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार 108 एंबुलेंस के मेंटेनेंस के नाम पर प्रतिवर्ष निकलने वाला करोड़ों का बिल किसकी की जेब में जाता है ?
क्योंकि हालात खुद बयां कर रहे हैं कि अधिकांश एंबुलेंस के टायर घिसे हुए हैं और एंबुलेंस में मौजूद स्वास्थ्य उपकरण भी फिट नहीं है।
रवि आर्य