गोंदिया। कहावत है कि चोर , चोरी से जाए हेराफेरी से न जाए ? जी हां हम बात कर रहे हैं गोरेगांव के तहसीलदार किशन भदाड़े की जिनके खिलाफ वर्ष 2017 में ठाणे में तहसीलदार के रूप में कार्यरत रहते हुए 10 लाख की रिश्वत लेने पर ठाणे सिटी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था , अब पुनः खनन वाहनों के ठेकेदार से एक लाख रुपए के रिश्वत के मामले में वह एसीबी के जाल में फंस चुके हैं।
तहसीलदार किशन भदाड़े ने दो रेती लदे टिप्परों की चेकिंग करने के बाद उनको सीज किया , तब वाहनों के मालक ने लगभग सवा लाख का जुर्माना भी भर दिया लेकिन चाबी यह कहते हैं नहीं सौंपी कि एक चालान ( अवैध वसूली ) का और भरना होगा ? इस मामले में सबूत जुटाने के बाद एसीबी ने तहसीलदार , नायाब तहसीलदार और उसके एक निजी कर्मचारी के खिलाफ 7 मई मंगलवार रात केस दर्ज करते कार्रवाई की है।
मामला कुछ यूं है कि…
गोरेगांव तहसील के ग्राम तेढ़ा निवासी 40 वर्षीय शिकायतकर्ता और उसका मित्र बिल्डिंग मटेरियल सप्लाय का व्यवसाय करते है और दोनों के पास 6 चक्का टिप्पर है। 4 मार्च 2024 के दोपहर 1 बजे ग्राम गिधाड़ी परिसर में मंडल अधिकारी व उनकी टीम ने कार्रवाई करते हुए शिकायतकर्ता व उनके मित्र के टिप्पर को 2 ब्रास रेती का परिवहन करते हुए धरदबोचा था और जब्ती कार्रवाई पश्चात दोनों टिप्पर तहसील कार्यालय गोरेगांव में जमा किए गए।
गोरेगांव तहसील कार्यालय (वर्ग 1) के तहसीलदार आरोपी किशन कचरू भदाणे (50 रा. बैंक कॉलोनी गोंदिया मुलतः राऊड त. चांदवड जि. नासिक) द्वारा शिकायतकर्ता व उनके मित्र को 1 ब्रास का चालान भरने के लिए कहा गया जिसपर 6 मार्च को फिर्यादी व उनके मित्र ने प्रति वाहन 1,23,883 रु. के चालान का बैंक में भूगतान किया और उनकी रसीदें लेकर तहसील कार्यालय गोरेगांव पहुंचे लेकिन उन्हें टिप्पर की चाबी नहीं मिली तो वे अपने गांव वापस चले गए।
गांव में एक परिचित ने शिकायतकर्ता से मुलाकात करते हुए टिप्पर छोड़ने और रेत का परिवहन जारी रखने के लिए प्रति वाहन 50 हजार इस तरह दोनों वाहनों के 1 लाख रुपए तहसीलदार किशन भदाणे को देने की बात कहीं।
रिश्वत की मांग के सत्यापन के दौरान शिकायतकर्ता व उसके मित्र ने जुर्माना राशि के लिए चालान का भूगतान कर दिया था लेकिन आरोपी तहसीलदार ने जब्त किए गए दोनों वाहनों को छोड़ने के लिए एक ओर चालान का भूगतान करें एैसी कार्यालयीन भाषा का अस्पष्ट उपयोग करते हुए दोनों वाहनों को छोड़ने के लिए 1 लाख रुपए रिश्वत की डिमांड अपने निजी साथी के माध्यम से कर दी।
इस प्रकरण की शिकायत फिर्यादी द्वारा भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग में की गई।
एसीबी अधिकारियों की टीम ने लगातार मामले की जांच की तत्पश्चात तहसील कार्यालय गोरेगांव में जाल बिछाया गया इस दौरान यह बात भी सामने आयी कि, शिकायतकर्ता व उसके मित्र के टिप्पर (प्रत्येक) में 2 ब्रास रेती थी और 2 ब्रास रेती सहित वाहन जब्त किए गए थे तथा पंचनामा मंडल अधिकारी व टीम द्वारा तहसीलदार को प्रस्तुत किया गया था लेकिन आरोपी तहसीलदार किशन भदाड़े, नायब तहसीलदार ज्ञानेश्वर रघुजी नागपुरे (56 रा. गोरेगांव) व उनके निजी साथी- कम्प्युटर ऑपरेटर राजेंद्र गोपीचंद गणवीर (52 रा. घुमरा त. गोरेगांव) द्वारा जब्त वाहन में 2 ब्रास नहीं एक ब्रास रेती थी यह दर्शाने के लिए इंडेमनेटी बांड तैयार करते हुए टिप्पर को ट्रैक्टर के रूप में दर्ज कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। साथ ही आरोपी क्र. 2 (नायब तहसीलदार) द्वारा शिकायतकर्ता से इंडेमनेटी बांड तैयार कर देने में मदद करने के बदले एक पार्टी देने की भी मांग की थी।
बहरहाल अपने स्वंय के फायदे के लिए लोकसेवक पद का दुरूपयोग करने वाले रिश्वतखोर तहसीलदार, नायब तहसीलदार व उनके साथी के खिलाफ अब गोरेगांव थाने में भ्रष्टाचार प्रतिबंधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह कार्रवाई एसीबी नागपुर के पुलिस अधीक्षक राहुल माकणीकर के मार्गदर्शन में पुलिस उपअधीक्षक गोंदिया विलास काळे, पोनि अतुल तवाड़े, पोनि उमाकांत उगले, सहा. उपनि चंद्रकांत करपे, पो.ह. संजयकुमार बोहरे, मंगेश कहालकर, नापोसि संतोष शेंडे, नापोसि संतोष बोपचे, अशोक कापसे, प्रशांत सोनवाने, मनापोसि संगीता पटले, दिपक बाटबर्वे आदि ने की।
रवि आर्य