गोंदिया। शहर में खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने वाले बेघर लोग घर का हिस्सा हैं मजबूरन वे फुटपाथ , बस स्टैंड , रेलवे स्टेशन , धार्मिक स्थल की शरण लेकर जिंदगी जी रहे हैं।
उन्हें भी खुशहाल जिंदगी जीने का अधिकार है इसी के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले वरिष्ठ नागरिक , भिखारी व रेहड़ी पटरी ऐसे लोगों की सुध लेकर दीनदयाल अंत्योदय योजना , राष्ट्रीय नागरी उपजीविका अभियान अंतर्गत गोंदिया शहर के पुराने आरटीओ ऑफिस के पीछे स्थित नगर परिषद मराठी प्राथ. शाला सिविल लाइन यहां ‘ नागरी बेघरां साठी निवारा ‘ अर्थात ‘ रैन बसेरा ‘ स्थापित किया गया है ताकि बेघर व निराधारों को रैन बसेरा का एक आधार मिल सके।
इस अभियान अंतर्गत ‘ बेघर शोध मुहिम ‘ के तहत गोंदिया नगर परिषद के सरहदीय इलाके से फुटपाथ पर रहने वाले निराश्रितों को ढूंढ कर उन्हें यहां ( रेन बसेरा) में नियमानुसार पहुंचाया जाना चाहिए और 24 घंटे आश्रय की सुविधा उपलब्ध कराया जाना चाहिए किंतु जिस तथागत क्रीड़ा मंडल को निवारा देखभाल व व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह अपने काम के प्रति सजग ना होने की वजह से नगर परिषद द्वारा संचालित होने वाला यह रैन बसेरा बाहरी शहरों से आए नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है , इसी बात का खुलासा जय श्री महाकाल सेवा समिति के अध्यक्ष और पूर्व पार्षद लोकेश कल्लू यादव ने यहां शुक्रवार 4 अगस्त को औचक निरीक्षण के दौरान किया है।
नियमानुसार बेघर शोध मुहिम के तहत यहां गोंदिया शहर के सरहदीय इलाकों के निराश्रितों को ढूंढ कर लाया जाना चाहिए किंतु रजिस्टर की जांच करने पर पता चलता है कि यहां पिछले 2 से ढाई वर्षों से मुंबई , नासिक , दुर्ग , बालाघाट , किरनापुर , खारा , लालबर्रा, देव्हाड़ा तुमसर जैसे शहरों से आए लोगों ने डेरा डाल रखा है ।
तथा यहां आश्रय लेने वाले अन्यों में ग्राम अंभोरा , सावरी , नागरा , मुंडीपार , पिंडकेपार इलाके के रहने वाले लोगों का समावेश है।
रजिस्टर मैं 25 बेघर निराश्रितों की संख्या दर्ज है जबकि मौके पर 15 से 16 ही है और उन में दो-तीन वृद्ध को छोड़कर बाकी सभी हटे कट्टे है जो दिन में शहर के अनेक इलाकों में हमाली और मजदूरी का काम करने जाते हैं और रात को वापस आकर शराब पीकर सो जाते हैं।
सिर्फ एक टाइम का खाना और थाली से नाश्ता गायब
सरकारी योजना के तहत आदेशानुसार सुबह 6:00 बजे उठने , दैनिक नित्यक्रम पश्चात 7:00 से 8:00 दौरान प्रार्थना योगासन व्यायाम करना। 8:00 से 8:30 चाय नाश्ता , 8:30 से 9:30 श्रमदान , 9:30 से 11:00 साफ-सफाई व अन्य काम , 11:00 से 12:00 के बीच दोपहर का भोजन , 12:00 से 4:00 विश्राम , 4:00 से 4:15 के बीच शाम की चाय , 4:15 से 6:00 के बीच मनोरंजन कार्य ( हंसी खेल ठिठोली ) , 6:00 से 7:30 टीवी पर मनोरंजन कार्यक्रम , 7:30 से 8:30 के बीच रात्रि भोजन और 9:00 बजे के बाद विश्राम इस प्रकार की व्यवस्था लागू होनी चाहिए किंतु यहां एक टाइम का खाना लायंस क्लब उपलब्ध कराता है जबकि सुबह का नाश्ता थाली से गायब है और शाम की चाय नसीब नहीं होती और संस्था केवल एक वक्त के भोजन का ही इंतजाम कर रही है ऐसा खुलासा औचक निरीक्षण के दौरान हुआ है।
जिनके कंधों पर व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी है वे ही अनदेखी कर रहे हैं इसलिए इस रैन बसेरे की ऊपरी मंजिल पर बने 3 कमरे खाली है क्योंकि यहां एक भी निराश्रित महिला , आश्रय लेने हेतु आने को तैयार नहीं क्योंकि उनमें असुरक्षा की भावना है।
कुल मिलाकर यह रैन बसेरा अब शराबियों का अड्डा बनता जा रहा है और बाहरी अवांछित तत्वों का शरण स्थल।
नगर परिषद के मुख्य अधिकारी व प्रशासक करण चौहान को चाहिए कि हालात का जायज़ा लें और व्यवस्था को पटरी पर लाएं अन्यथा बाहरी शहरों के रहने वाले तत्वों का यह अड्डा बना रहेगा।
रवि आर्य