जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे नदी पार करते हैं ग्राम चुंभली के आदिवासी
गोंदिया: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन 75 वर्षों बाद भी गोंदिया जिले के देवरी तहसील के ग्राम चुंभली के ग्रामीणों को चलने के लिए पक्की सड़क और नदी को पार करने के लिए पुल नसीब नहीं हो पाई है। बारिश के इन दिनों में उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रामीण रोज अपनी जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे नदी को पार करने हेतु विवश है।
ग्रामीण बताते हैं कि नदी का पुल नहीं होने की वजह से अब तक 4 से 5 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं ।
चूंकि बारिश के दिनों में मुश्किलें और बढ़ती हैं लिहाजा गांव का संपर्क पड़ोसी ग्राम पालंदुर से टूटने से पहले ग्रामवासी जीवन यापन हेतु 4 माह का राशन इकट्ठा कर लेते हैं और दीपावली से पूर्व नदी का जलस्तर कम होने पर तथा कच्ची सड़क की कीचड़ सूखने के बाद इस गांव के विद्यार्थी स्कूल के लिए ग्राम पालंदुर का रुख करते हैं।
हैरानी इस बात की होती है कि आजादी के इतने साल बाद भी हर चुनाव में नेता पुल बनाने का वादा कर वोट लेकर चले जाते हैं लेकिन किसी ने इस शत प्रतिशत आदिवासी बाहुल्य ग्राम चुंभली के बाशिंदों की सुध नहीं ली।
मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज ग्राम चुंभली का कलेक्टर , विधायक, एसपी ने किया दौरा
ग्राम चुंभली यह 65 आदिवासी घरों की बस्ती है जहां 350 लोग रहते हैं , सड़क और पुल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज गोंदिया जिले के नक्सल प्रभावित देवरी तहसील के चुंभली ग्राम का प्रत्यक्ष दौरा क्षेत्र के विधायक सहसराम कोरेटे , जिलाधिकारी नयना गुंडे , जिला पुलिस अधीक्षक विश्व पानसरे ने करते हुए अब पुल और सड़क के निर्माण पर 8 करोड़ रुपए खर्च कर आदिवासी समाज के जीवन को बदलने का भरोसा दिया है।
देखना दिलचस्प होगा दशकों से उपेक्षा के शिकार इन आदिवासियों के जीवन में बहार कब आती है।
रवि आर्य