नांदेड़ से गोंदिया रक्तदान करने आए शख्स ने मरीज की बचाई जान
गोंदिया: इंसानियत की मिसाल पेश कर लोगों की जान बचाने वाले को भगवान का दर्जा दिया जाता है। कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति रक्त के अभाव में जिंदगी से जंग लड़ रहा हो और ऐसे में आप एकाएक उम्मीद की किरण बनकर सामने आएं और उसकी जिंदगी बच जाती है तो आपको कितनी खुशी होगी।
जिंदगी की जंग लड़ रहे एक मरीज के परिजनों ने उस वक्त राहत की सांस ली जब एक नांदेड निवासी शख्स ब्लड देने के लिए आगे आया और मरीज़ की जान बच सकी।
गोंदिया में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है जब किसी व्यक्ति का ब्लड समूह ‘बॉम्बे ब्लड’ ग्रुप है।
बताया जाता है कि समूचे महाराष्ट्र में इस ब्लड ग्रुप के 40 डोनर हैं तथा भारत में यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 279 लोगों का है।
दरअसल निजी अस्पताल के डॉक्टर्स ने किडनी में सूजन मूत्र पिंड की समस्या से ग्रस्त मरीज की खराब सेहत देख सर्जरी करके , ब्लड चढ़ाने का फैसला किया।
बल्ड चेक किया गया तो पता चला कि विनोद रामटेककर का ब्लड समूह ‘ बॉम्बे ब्लड ‘ ग्रुप का है जो बहुत ही दुर्लभ है।
ऐसे में बॉम्बे ब्लड ग्रुप वालों की तलाश शुरू की गई , जितने भी व्हाट्सएप , फेसबुक, इंस्टाग्राम पर ब्लड डोनेट संस्थाएं हैं उसमें मैसेज भेजे गए।
गोंदिया में न जाने कितने संगठन है जो रक्तदान करते हैं लेकिन कहीं से भी व्यवस्था नहीं हो सकी।
इस विशेष और बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप के लिए अस्पतालों से संपर्क भी साधा गया लेकिन ब्लड बैंक में या आसपास से भी कोई व्यवस्था नहीं हो सकी।
आखिरकार नांदेड़ निवासी 35 वर्षीय किसान युवक माधव स्वर्णकार से गोंदिया की सोच ब्लड संस्था के रक्त मित्र सौरभ रोकड़े ने संपर्क स्थापित किया ओर नांदेड का यह शख्स ‘हनुमान ‘ बना तथा गोंदिया के अस्पताल में भर्ती मरीज की जान बचाने के लिए नांदेड़ से चलकर माधव बस द्वारा नागपुर आया ।
गोंदिया के लिए ट्रेन और बस की तत्काल उचित व्यवस्था न होने पर माधव ने अपने मित्र की बाइक का सहारा लिया और गोंदिया तक बाइक से सफर तय किया और दुर्लभ माने जाने वाला ‘बॉम्बे ब्लड ‘ डोनेट कर मरीज की जान बचाई।
जिसके लिए गोंदिया के रक्त संगठन सोच संस्थान ने उसका प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर सत्कार करते हुए उसके जज्बे को सलाम किया।
इस अवसर पर डॉ. संजय माहुले, रक्तमित्र सौरभ रौकड़े , अभिषेक ठाकुर , विनोद चांदवानी , नितिन रायकवार , रमेश डोहरे आदि उपस्थित थे।
माधव स्वर्णकार यह नांदेड के तासगांव का निवासी है तथा इसके पूर्व भी वह हैदराबाद , औरंगाबाद , विशाखापट्टनम , रांची में जाकर रक्तदान कर चुका है।
विशेष उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में बेहद दुर्लभ माने जाने वाला ‘बाम्बे ब्लड ‘ पॉजिटिव- नेगेटिव एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप है।
यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड 20 लाख लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति में पाया जाता है , इस रक्त समूह की खोज सबसे पहले बाम्बे में 1952 में डॉ. वाय.एम भेंडे द्वारा की गई जिसके चलते इस ग्रुप का नाम मुंबई रक्त समूह पड़ा जो दुनिया भर में मिलना मुश्किल होता है।
गोंदिया शहर के अस्पताल में भर्ती मरीज को इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप की जरूरत देखी गई , यह खुशनसीबी है कि बीमार व्यक्ति के लिए यह शख्स हनुमान बनकर नांदेड़ से गोंदिया पहुंचा और मरीज की जान बचाई।
-रवि आर्य