गोंदिया: कोर्ट की अवमानना करने पर अदालत ने निंदनीय और अनुचित व्यवहार का दोषी करार देते हुए एड. पराग तिवारी को 5 दिन की सजा सुनाते हुए उसे सोमवार को जेल भेज दिया है।
इस मामले ने तूल पकड़ा और 6 फरवरी मंगलवार को एड. पराग तिवारी के समर्थन में गोंदिया जिला बार एसोसिएशन ने एक दिवसीय ‘ पेन डाउन ‘ (कलमबंद ) हड़ताल का ऐलान कर दिया नतीजतन गोंदिया , तिरोड़ा , आमगांव , सड़क अर्जुनी , अर्जुनी मोरगांव , देवरी तहसीलों की अदालतों का कामकाज ठप्प पड़ गया ।
बता दें कि माननीय न्यायमूर्ति तो कोर्ट के चेंबर में उपस्थित थे लेकिन वकीलों के हड़ताल के कारण एडवोकेट नदारद रहे। इस प्रकारण पर अपनी प्रतिक्रिया देते कुछ वकीलों ने कहा- जज को यह अधिकार नहीं कि किसी पक्षकार को कहे आप वकील बदलो ? आरोप है कि ईगो को सामने रखते हुए यह कार्रवाई की गई। लिहाज़ा जब तक एडवोकेट पराग तिवारी जेल से रिहा नहीं होते तब तक सीजेएम के कोर्ट का बहिष्कार जारी रहेगा। बता दें कि आज 7 फरवरी बुधवार को सुबह से सीजेएम ( मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ) का कोर्ट छोड़कर बाकी सभी जगह कामकाज नियमित रूप से शुरू है , गोंदिया जिले का कोई भी वकील सीजेएम के कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ है ।
और वह अदालत में दबंग बन गया..?
5 फरवरी के दोपहर सीजेएम कोर्ट में
एक मामले की सुनवाई शुरू हुई इस दौरान पक्षकार ने कुछ और बोला एड .पराग तिवारी की रीडिंग कुछ और थी जिस पर बहस हुई , बताया जाता है कि एड.पराग तिवारी ने कहा ठीक है सर गलती हुई है या तो आप फाइन कर दीजिए या मेरी एप्लीकेशन को डिसमिस कर दीजिए ?
इस मामले में दोपहर 1:45 बजे गोंदिया बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित हुए और आरोपी द्वारा माफी मांगने का आश्वासन दिया कि दोपहर 3:00 बजे तक लिखित माफी मांगी जाएगी।
दोपहर 3:30 बजे बार एसोसिएशन के सदस्य फिर उपस्थित हुए और 3:45 का तक का समय मांगा , आरोपी की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं है इसलिए अदालत में उदारतापूर्वक 4:00 बजे तक का समय दिया।
अब 4:15 बजे तक आरोपी और बार सदस्य अदालत में पेश नहीं हुए, इस दौरान पूरे बार की ओर से आरोपी को समझने में विफल रहने के लिए माफी मांगी तब सीजेएम कोर्ट ने इस संबंध में दोषी वकील द्वारा कहे गए शब्दों ” किसी से नहीं डरता , तुम्हें जो करना है करो , मुझे जेल में डाल दो , मैं ऐसा ही हूं ? जैसे वाक्यों को अविस्मरणीय और अक्षम्य कृत्य करार देते हुए मामले को गंभीरता से लिया तथा 10 दिन की सजा की अवधि को घटाकर 5 दिन की अवधि तथा 90 रूपए जुर्माना तक कर दिया और अधिवक्ता पराग तिवारी को वहां से तत्काल हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
रवि आर्य