Published On : Wed, Jun 19th, 2024

गोंदिया: 7 लाख के इनामी नक्सली ने हिंसा का रास्ता छोड़ किया आत्मसमर्पण

जिले में माओवादी आंदोलन खत्म होने के राह पर , नक्सलियों के अत्याचार से तंग आकर सक्रिय सदस्य ने नक्सली दलम को किया बाय-बाय
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Gondia Naxal

गोंदिया। देश में माओवादी आंदोलन पर अंकुश लगाने तथा अधिक से अधिक माओवादियों को आत्मसमर्पण कराकर विकास की मुख्यधारा में लाने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्वास के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार द्वारा नक्सल समर्पण योजना चलायी जा रही है। जिला पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले, अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानंद झा के मार्गदर्शन में गोदिया जिले में माओवादी आंदोलन को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है और विभिन्न गतिविधियां चलाकर लोगों और नागरिकों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देकर जन जागरूकता पैदा की जा रही है।

इसके अलावा वे माओवादी भी जो विभिन्न धोखे और प्रलोभन का शिकार होकर माओवादी संगठन में शामिल हुए है, उनसे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया जा रहा है।

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गोंदिया जिला पुलिस द्वारा आत्मसमर्पण के लिए की अपील से प्रेरित होकर तथा माओवादियों के अत्याचारों से तंग आकर माओवादी संगठन में सक्रिय रुप से शामिल 7 लाख के इनामी माओवादी संजय उर्फ बिच्छेम पूनेम (25 रा. पुसनार त. बिजापुर छ.ग) ने 3 जून को जिलाधिकारी प्रजीत नायर, जिला पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले व अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानंद झा के समक्ष सरेंडर (आत्मसमर्पण) कर दिया।

यह है सरेंडर करने वाले सक्रिय नक्सली का इतिहास

आत्मसमर्पित माओवादी संजय उर्फ बिच्छेम सुकलू पूनेम (25 रा. पुसनार त. गंगालूर जि. बिजापूर छ.ग) ने अक्टूबर 2013 में गंगालूर दलम में भरती होकर माड एरिया में कम्पनी क्र. 7 व 10 में जहल माओवादी – पहाड़ सिंह के अंगरक्षक के रूप में काम किया, साथ ही दर्रेकसा एरिया कमेटी, प्लाटून -1 और (सीएनएम) चेतना नाटय मंच में भी काम किया।

उक्त माओवादी ने वर्ष 2017-2018 में प्लाटून-1 में कार्यरत रहते हुए गोंदिया जिले के सालेकसा पुलिस स्टेशन अंतर्गत मुरकुटडोह, टेकाटोला तथा चिचगढ़ पुलिस थाना अंतर्गत कोस्बी जंगल क्षेत्र में हुई नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में सक्रिय भागीदारी निभायी।

पुलिस नक्सली मुठभेड़ों में था शामिल

नक्सल संगठन/आंदोलन की सटीक नीति का निम्नलिखित कैडरों को पता नहीं होने से आत्मसमर्पित माओवादी संजय उर्फ बिच्छेम सुकलू पूनेम (25 रा. पुसनार त. गंगालूर जि. बिजापूर छ.ग) ने अक्टूबर 2013 में गंगालूर दलम में भरती होकर माड एरिया में कम्पनी क्र. 7 व 10 में जहाल माओवादी – पहाड़ सिंह के अंगरक्षक के रूप में काम किया, साथ ही दर्रेक्सा एरिया कमेटी, प्लाटून -1 और (सीएनएम) चेतना नाटय मंच में भी काम किया।

उक्त माओवादी ने वर्ष 2017-2018 में प्लाटून-1 में कार्यरत रहते हुए गोंदिया जिले के सालेकसा पुलिस स्टेशन अंतर्गत मुरकुटडोह, टेकाटोला तथा चिचगढ़ पुलिस थाना अंतर्गत कोस्बी जंगल क्षेत्र में हुई नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में सक्रिय भागीदारी निभायी।

जंगल में जीवन था अंधकार में , बंदूक छोड़ी

नक्सल संगठन/आंदोलन की सटीक नीति का निम्नलिखित कैडरों को पता नहीं होने से भविष्य अंधकारमय प्रतीत होता है। माओवादी संगठन के वरिष्ठ कैडर नक्सली आंदोलन के लिए धन/फंड इकट्ठा करने की बात करते हैं लेकिन वास्तव में उस धन का उपयोग अपने लिए करते हैं।

सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कारण जनता का माओवादियों को वह समर्थन नहीं मिल पा रहा है जो वे चाहते थे।
माओवादी नेता गरीब आदिवासी युवाओं का इस्तेमाल केवल अपने फायदे के लिए करते हैं।दलम में रहते हुए विवाह करने पर भी वैवाहिक जीवन नहीं जिया जा सकता। किसी भी समस्या में परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों की मदद नहीं की जा सकती। दलम में रहने पर समय पर भोजन आदि नहीं मिलता, वहां जीवन बहुत कठिन है, यदि स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो ध्यान नहीं दिया जाता है। पुलिस बल द्वारा लगातार चलाये जा रहे नक्सल विरोधी अभियान ने जंगल के माहौल को खतरनाक बना दिया है।

वरिष्ठ कैडर पुलिस मुखबिरी के संदेह में निर्दोष आदिवासियों/आम नागरिकों को मारने के लिए कहते हैं। महाराष्ट्र सरकार की आत्मसमर्पण योजना से प्रभावित होकर उन्होंने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। गोंदिया जिला पुलिस प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक गोंदिया निखिल पिंगले एवं अपर पुलिस अधीक्षक श्री. नित्यानंद झा ने माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और सरकार की विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपना जीवन आसान बनाएं के लिए धन/फंड इकट्ठा करने की बात करते हैं लेकिन वास्तव में उस धन का उपयोग अपने लिए करते हैं।

सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कारण जनता का माओवादियों को वह समर्थन नहीं मिल पा रहा है जो वे चाहते थे।
माओवादी नेता गरीब आदिवासी युवाओं का इस्तेमाल केवल अपने फायदे के लिए करते हैं।दलम में रहते हुए विवाह करने पर भी वैवाहिक जीवन नहीं जिया जा सकता। किसी भी समस्या में परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों की मदद नहीं की जा सकती। दलम में रहने पर समय पर भोजन आदि नहीं मिलता, वहां जीवन बहुत कठिन है, यदि स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो ध्यान नहीं दिया जाता है।

पुलिस बल द्वारा लगातार चलाये जा रहे नक्सल विरोधी अभियान ने जंगल के माहौल को खतरनाक बना दिया है। वरिष्ठ कैडर पुलिस मुखबिरी के संदेह में निर्दोष आदिवासियों/आम नागरिकों को मारने के लिए कहते हैं। महाराष्ट्र सरकार की आत्मसमर्पण योजना से प्रभावित होकर उन्होंने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। गोंदिया जिला पुलिस प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक गोंदिया निखिल पिंगले एवं अपर पुलिस अधीक्षक श्री. नित्यानंद झा ने माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और सरकार की विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपना जीवन आसान बनाएं ।

रवि आर्य