Published On : Sat, May 14th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया में ‘ किस्सा कुर्सी का ‘

Advertisement

जिला परिषद के सभापति कुर्सी को लेकर ‘ एक अनार सौ बीमार ‘

गोंदिया। मिनी मंत्रालय के नाम से प्रसिद्ध गोंदिया जिला परिषद यह ग्रामीण विकास की गंगोत्री कहलाती है लेकिन मर्यादा विहीन राजनीतिक गठबंधन ने इस गंगोत्री को मैला कर दिया है।

Gold Rate
Thursday 09 Jan. 2025
Gold 24 KT 77,900 /-
Gold 22 KT 72,500 /-
Silver / Kg 90,600 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

10 मई को हुए जिला परिषद अध्यक्ष- उपाध्यक्ष चुनाव के बाद अब 23 मई के सभापति पद के चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने कवायद तेज कर दी है।

जिला परिषद के सभापति की कुर्सी को लेकर ‘ एक अनार सौ बीमार ‘ वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है , कुर्सी एक है और दावेदार एक दर्जन से अधिक बढ़ते चले जा रहे हैं लिहाजा सियासत चरम पर है और भाजपा , राष्ट्रवादी , चाबी संगठन तथा दो निर्दलीय ऐसे में हर एक जिला परिषद सदस्य एक दूसरे को शक की निगाह से देखने लगा है।

सभी पार्टियां मलाईदार पदों को हासिल करने की रेस में

दो विभागों के सभापति व दो विषय समिति के सभापति इस तरह 4 चेयरमैन पद के लिए चुनाव होंगे।अर्थ व बांधकाम सहित अन्य मलाईदार विभागों के चेयरमैन पद के लिए 40 सदस्यों में रेस चल रही है।
ऐसे में किसी निर्दलीय के नाम पर अर्थ बांधकाम विभाग की मुहर लगाना भाजपा के ओहदेदारों के लिए लिए कठिन होगा , क्योंकि राष्ट्रवादी भी कुर्सी को हथियाने का मंसूबा पाले हैं ऐसे में भाजपा के लिए अपने 26 और दो निर्दलीय है ऐसे 2 8 सदस्यों को 5 वर्षों तक एकजुट रखना भी बड़ी चुनौती होगा।

बताया जाता है कि पार्टी के नेताओं से एक-एक कर मिलकर खुद को सभापति बनाने की चाहत का इज़हार अधिकांश सदस्य कर चुके हैं।
हर एक जिला परिषद सदस्य खुद को दावेदार बताकर सभापति पद की मांग कर रहा है।

राष्ट्रवादी से..गठबंधन करके फंस गए यार…?

चेयरमैन पदों के लिए प्रत्याशी चयन के मामले में 26 सदस्यों वाली भाजपा के ओहदेदारों के सामने मुश्किलें पैदा हो रही है।
लगता है 2 निर्दलीयों का समर्थन हासिल करने के बाद (स्पष्ट बहुमत के बावजूद ) भाजपा , राष्ट्रवादी और चाबी संगठन के साथ गोंदिया जिला परिषद में गठबंधन कर फंस चुकी है ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि दोनों निर्दलीय वादे के मुताबिक अर्थ व बांधकाम और महिला बालकल्याण सभापती के कुर्सी पर काबिज हो सकेंगे ? क्योंकि भाजपा कह रही है दोनों निर्दलीय पार्टी में शामिल हो चुके हैं और भाजपा में एक सभापति के कुर्सी को लेकर ‘ एक अनार सौ बीमार ‘ वाली स्थिति बन चुकी है यहां एक सीट के लिए दर्जन भर से ज्यादा दावेदार ताल ठोंक रहे हैं।

जिला परिषद सदस्यों में असंतोष , एमएलसी चुनाव में फूटेगा गुस्सा ?

जिला परिषद के सत्ता में राष्ट्रवादी के नेताओं को दो दशक के बाद पहली बार एंट्री नसीब हुई है , 8 सदस्यों वाली एनसीपी उपाध्यक्ष का पद हासिल करने के बाद महत्व के सभापति पदों में भी हिस्सेदारी चाहती है वहीं 4 सदस्यों वाले चाबी संगठन ने भी समर्थन देकर सियासी फायदे के इरादे साफ कर दिए हैं , दूसरी और सत्ता में भागीदारी निभा रहे तीनों दलों के नेताओं ने 2 निर्दलीयों के साथ मिलकर अब तक न बैठक ली है और ना ही सभापति पद के बंटवारे को अंतिम रूप देने का काम ही शुरू किया है जिसे लेकर इन पार्टियों के जिला परिषद सदस्यों में असंतोष कायम है और यह गुस्सा आगामी विधान परिषद सदस्य ( एमएलसी सीट ) के चुनाव के दौरान फूट सकता है इसे भी लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है।

देखना दिलचस्प होगा बेमेल के तालमेल के अपवित्र गठबन्धन का नुकसान किस दल होता है ।

रवि आर्य

Advertisement