गोंदिया। समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने का निर्णय लेने की सुप्रीम कोर्ट की तत्परता को देखते हुए 9 मई मंगलवार को समग्र ब्राह्मण सभा गोंदिया द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे प्रतिवेदन में कहा गया है कि- भारत में विवाह एक सामाजिक पवित्र गठबंधन है लिहाज़ा समान सेक्स विवाह, भारतीय विवाह प्रणाली को नष्ट कर देगा इसलिए इसे वैधानिकता देना हानिकारक होगा।
बता दें कि समलैंगिक विवाह को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह के रजिस्ट्रेशन की मांग की गई है , दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है इसी बीच केंद्र सरकार ने कई बार इस मामले का विरोध करते हुए इसे संसद पर छोड़ने को कहा है।
समग्र ब्राह्मण सभा की ओर से भेजे गए निवेदन के अनुसार- भारत में विभिन्न धर्म समुदाय और जातियां हैं और सभी ने एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह को मान्यता दी है।
समलैंगिक विवाह कभी भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा है।
भारतीयों के लिए विवाह यह अनुबंध नहीं , गठबंधन है।
ऐसे में पाश्चात्य विचारों दर्शन और प्रथाओं को अपनी संस्कृति की जड़ों पर थोपा जाना यह देश के लिए व्यावहारिक नहीं है इसलिए समलैंगिक विवाह न्यायपालिका द्वारा वैध घोषित नहीं किया जाए तथा विधायिका की शक्ति का इस्तेमाल न्यायपालिका नहीं कर सकती ? ऐसी चिंता समग्र ब्राह्मण सभा ने जताते हुए कहा है कि-अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जल्दबाजी में विचार करती है तो स्पेशल मैरिज एक्ट का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा तथा दहेज , घरेलू हिंसा कानून , तलाक , गुजारा भत्ता , दहेज हत्या जैसे तमाम कानूनी प्रावधानों को अमल में लाना कठिन हो जाएगा क्योंकि यह सभी कानून एक पुरुष को पति और एक महिला को पत्नी मानकर ही बनाए गए हैं इसलिए इस मामले का विरोध करते हुए इसे संसद पर छोड़ने का अनुरोध किया है ।
रवि आर्य