Published On : Fri, Jul 22nd, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: शो कॉज नोटिस ने बढ़ाई धान खरीदी सेंटरों की धड़कनें , गोदामों की जांच शुरू

Advertisement

जिला शासकीय आधारभूत धान खरीदी संघ का कथन – धान खरीदी में महा घोटाले के आरोप बेबुनियाद

गोंदिया: तय लक्ष्य से अधिक की धान खरीदी करने वाली संस्थाओं की जांच महाराष्ट्र सेक्रेटरी के आदेश पर गत 8 जुलाई शुरू हो चुकी है ।हेराफेरी में लिप्त धान खरीदी संस्थाओं को नियुक्त नोडल ऑफिसर द्वारा शो-कॉज नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

Today’s Rate
Thursday 21 Nov. 2024
Gold 24 KT 76,700 /-
Gold 22 KT 71,300 /-
Silver / Kg 91,200/-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

वहीं दूसरी ओर अपनी सफाई पेश करने गोंदिया जिला शासकीय आधारभूत धान खरीदी संस्था संघ सामने आया है।
आयोजित पत्र परिषद में उपस्थित संस्था अध्यक्ष प्रवीण बिसेन व संस्था पदाधिकारी उमेंद्र भेलावे , बाबा चौधरी , अशोक डोंगरे , मनीष वैष्णव , अभिषेक हलमारे ने कहा- गोंदिया जिले के 74 हजार 473 किसान जो रजिस्टर्ड किए गए हैं उन्हीं का धान 77 संस्थाओं के 107 धान खरीदी सेंटरों पर तौला गया है , दूसरे प्रदेश का धान लाकर तौला ऐसा नहीं है ।
जबकि हम पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि तुमने जितना धान लिए हो , उससे ज्यादा एंट्री पोर्टल पर मारे हो और यह बोगस है ?

डीएमओ ऑफिस सोया था , पोर्टल खुला रहा
संस्था पदाधिकारियों ने कहा- पहले दौर में – 9 लाख 12 हजार 468 क्विंटल धान खरीदी की लिमिट तय थी किंतु डीएमओ ऑफिस का पोर्टल खुला होने की वजह से तय लक्ष्य से अधिक यानी 10 लाख 38 हजार क्विंटल की धान खरीदी हुई है , यह 1 लाख 16 हजार क्विंटल की एक्सेस खरीदी पोर्टल खुला होने की वजह से हुई है जबकि पोर्टल को बंद हो जाना था।

दूसरे दौर में 4 लाख 79 हजार 095 क्विंटल की धान खरीदी का लक्ष्य था जबकि तय लिमिट से कम अर्थात 4 लाख 33 हजार 373 क्विंटल की ही धान खरीदी हुई है‌ । जबकि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि 1 घंटे में 4 लाख 50 हजार क्विंटल की धान खरीदी हुई है, ऐसा नहीं है ? अर्जुनी मोरगांव का पोर्टल , दो दिनों तक चालू था। अभी भी सालेकसा की 3000 क्विंटल की खरीदी नहीं हुई है जबकि सबसे ज्यादा सालेकसा के सेंटरों को बदनाम किया जा रहा है।
कुल दोनों दौर में 13 लाख 62 हजार क्विंटल के लगभग की धान खरीदी एनईएमएल पोर्टल में दर्ज हुई है।

जो किसान पहले मंडी जाता था , अब वह धान बिक्री हेतु सेंटर पर आ रहा आयोजित पत्र परिषद में संस्था पदाधिकारीयों ने जानकारी देते हुए कहा- धान खरीदी के बढ़ते आंकड़ों के पीछे के मूल चीजों को समझना जरूरी है। आज से 5 साल पहले जो सरकारी समर्थन मूल्य था वह बाजार से कम रहता था , सेंटर पर 1200 से 1300 और बाजार में धान 1400 में बिकता था , सुबह मंडी में बोली लगती थी शाम को पैसा किसान के हाथ मिल जाता था , यहां तक की आड़तिया एडवांस में भी पैसा दे देता था।

अभी समर्थन मूल्य बढ़ते बढ़ते गवर्नमेंट का 1850 हो चला है तो बाजार में धान 1400 में बिक रहा है।
इससे पहले भी जो बोनस मिलता रहा उस समय भी किसान को 2500 का भाव हाथ आने लगा।
इससे किसानों में मुनाफा लालच आ गई और जो किसान पहले मंडी जाते थे अब वह सेंटरों पर आ रहे हैं जिससे सेंटरों पर किसानों की भीड़ बढ़ रही है और व्यवस्था बिगड़ रही है।

जो धान खरीदी संस्था पहले 10,000 क्विंटल धान लेती थी और उसका बमुश्किल दो से तीन लाख का कमीशन बनता था अब वही संस्था 1 लाख क्विंटल धान ले रही है तो 30 लाख का कमीशन बन रहा है , गोदाम भाड़ा , बारदाना डैमेज होना और अन्य खर्चे भी काट लिया जाए तब भी 20 लाख के सालाना उत्पन्न के चलते संस्थाएं बढ़ती जा रही है।
तथा किसानों का धान पोर्टल पर चढ़ाने से पहले कई जगहों पर संस्था के गोदामों में अलग से लॉट लगाकर रखा गया है , जिसकी गिनती को अब तथाकथित गोलमाल करार दिया जा रहा है ।

जांच में सामने आएगा , धान खरीदी का सच
आयोजित पत्र परिषद में संस्था पदाधिकारियों ने बताया- जिले की सभी 107 धान खरीदी संस्थाओं के गोदामों की जांच हो रही है , नियुक्त नोडल ऑफिसर गोदामों में स्टाक देख रहे हैं, पोर्टल के आंकड़े देख रहे हैं , किसानों को बुलाकर पूछा जा रहा है कि आपने धान दिए हो या नहीं ? उनका सातबारा देखा जा रहा है। गवर्नमेंट का जीआर है ई-पिक जरूरी है , पटवारी हर जगह ई-पिक करने नहीं जाता , किसान अपने हाथ से ही ई-पिक करता है जिससे खेत के धुरे की जगह को भी वह फसल की उपज में जोड़ देता है , पदाधिकारियों ने कहा- हमने खसरा और गांव नमूना आधार पर धान की खरीदी की है। जबकि खेत धुरे की जगह (जमीन ) के वजह से खरीदी एक्सेस दिख रही है , जिससे धान खरीदी को घोटाला बताया जा रहा है।

राइस मिलों का धान छत्तीसगढ़ जा रहा है जिला बंदी क्यों नहीं करते ?

हम पर आरोप लगाया जा रहा है कि व्यापारी का धान सेंटरों पर तौला गया ?
पहले जब हमारे यहां बोनस मिलता था तब मध्य प्रदेश का हमारे यहां धान आता था आज राइस मिलों का धान बड़ी संख्या में बिक्री हेतु छत्तीसगढ़ जा रहा है , जिला बंदी क्यों नहीं करते ? प्रशासनिक अधिकारी क्या सोए हुए हैं ?
सरकार कहती है किसानों का रजिस्ट्रेशन करो , हमने हर किसान का रजिस्ट्रेशन किया , किसान को लगता है जब मेरा पंजीकरण हो गया तो मेरा धान उस संस्था ने खरीदना चाहिए ऐसे में हमने उस किसान का धान अगर अपने गोदाम में रख दिया तो उसमें क्या बुरा है ?

2 महीने का गोदाम किराया , 7 महीने गोदाम में धान
संस्था पदाधिकारियों ने कहा- एजेंसी ने हमको काम दिया है ,हर साल एग्रीमेंट करते हैं हम लोग ,
धान में घट (सोख) आती है वह नुकसान हमें झेलना पड़ता है। हमें सरकार से सिर्फ 2 महीने का गोदाम भाड़ा मिलता है उसमें 7 महीने धान पड़ा रहता है जिससे 15% बारदाना हमारा डैमेज हो जाता है , नीचे रखी छल्ली बारदाने की सड़ जाती है ,चूहे खा जाते है। जो बारदाना हमें उपलब्ध कराया जाता है वह बराबर भर्ती का नहीं होता ?
किसी की 37 तो किसी में 39 तो किसी में 41 किलो की धान भर्ती आती है , एक बार यूज किया हुआ बारदाना हमें दिया जाता है , इस घोटाले की प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच करनी चाहिए।

रवि आर्य

Advertisement