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शासकीय अस्पतालों में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था , नहीं मिल रहा उपचार
गोंदिया। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गोंदिया मेडिकल कॉलेज, जिला केटीएस सिविल अस्पताल तथा बीजीडब्ल्यू महिला जिला अस्पताल में कार्यरत्त नर्सों ने सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल का बिगुल बजाया है।
आंदोलन की शुरुआत नर्सों ने आज 4 अक्टूबर सोमवार से की है इस दौरान मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में धरना प्रदर्शन और नारेबाजी देख , डीन हड़ताली नर्सेज से बात करने पहुंचे।
3 दिन पूर्व दी थी, काम बंद आंदोलन की चेतावनी
गौरतलब है कि सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 4 अक्टूबर से अनिश्चित काल के लिए काम बंद आंदोलन किया जाएगा यह चेतावनी नर्सों की संगठन ने मेडिकल कॉलेज के डीन को ज्ञापन सौंप शुक्रवार 1अक्टूबर को दी थी , महाराष्ट्र राज्य परिचारिका संगठन के बैनर तले सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सों ने सोमवार को मेडिकल कॉलेज परिसर में एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की।
संगठन की जिला अध्यक्षा मीनाक्षी बिसेन ने जानकारी देते बताया कि- बार-बार पत्र लिखने के बावजूद मांगों की अनदेखी होने से हमें न चाहते हुए भी हड़ताल पर जाना पड़ा लिहाज़ा अपने न्यायोचित मांगों को लेकर नर्सों ने आंदोलन की भूमिका अपनाई है यह हड़ताल अनिश्चितकालीन है।
आखिर कौन सी है 4 प्रमुख मांगे ?
डीएमईआर के तहत भवन का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए- डीएमईआर अंतर्गत कार्यरत अधीपरिचारीकाओं पर ही दोनों अस्पतालों (केटीएस और बीजीडब्ल्यू) का कार्यभार हैं। डीएमईआर के अंतर्गत अधिपरिचारीकाओं की कुल संख्या 375 तथा परिसेवकों के 50 पद हैं।
इनमें से अधिपरिचारीकाओं के 129 और परिसेवकों के 16 पद भरे जा चुके हैं. इनमें से के.टी.एस. सामान्य अस्पताल 74 और बी.जी. डब्ल्यू महिला अस्पताल के लिए 45 पद आवंटित किए गए हैं। ऐसी रिक्तियों के कारण कर्मचारियों को एक सप्ताह की छुट्टी भी नहीं मिलती है इसलिए रिक्तियों को जल्द से जल्द भरा जाए।
ज्यादातर कर्मचारी बाहर गांव के हैं। क्योंकि अपर्याप्त जनशक्ति के कारण, प्रत्येक शिफ्ट में 1 है तथा 45 मरीजों में 1 कर्मचारी ऐसी स्थितियों में मरीजों को उचित देखभाल नहीं मिल पाती है। 510 बिस्तरों वाले अस्पताल में जनशक्ति की कमी है इसलिए रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए।
मासिक वेतन की समस्या का समाधान करें , पिछले चार माह से वेतन लम्बित है।
बिना सोचे समझे अस्पष्ट जवाब और झूठे वादे दिए जाते हैं।थ ही वेतन का भुगतान होने पर भी अपर्याप्त अनुदान के कारण कर्मचारी के वेतन का 50 प्रतिशत काट लिया जाता है। नतीजतन, वेतन में देरी के कारण कर्मचारियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे सुरक्षा बलों (गार्ड) की तैनाती की जाए और उन्हें ड्यूटी पर मौजूद रहने के लिए कहा जाए।
वार्ड कैजुअल्टी और ओपीडी में दिखे सिर्फ डॉक्टर
राज्य संगठन (नर्सेज यूनियन) के बैनर तले जिले की परिचारिकाओं ने शांतिपूर्ण अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। वार्ड, कैजुअल्टी और ओपीडी में सिर्फ डॉक्टर ही दिख रहे हैं।
ना तो नर्सेज है और ना ही कोई वार्ड बॉयज्ञ? ऐसे में वार्ड में मरीज का एडमिशन नहीं हो पा रहा और डॉक्टर दवाइयां लिखकर मरीज को वापस भेज रहे ।
गंभीर मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जा रहा है।
रवि आर्य