नागपुर : सरकारोद्धारक जैन आचार्यश्री ज्ञानसागर जी गुरुदेव का राजस्थान के बारा में देवलोक गमन रविवार को महावीर निर्वाण के दिन हुआ. जैन समाज के श्रेष्ठतम आचार्यो में ज्ञानसागर जी थे. उनके निधन से जैन समाज में शोक लहर हैं. उनका गृहस्थवस्था का नाम उमेशकुमार जैन था. उनके पिता शांतिलाल और माता अशर्फ़ीदेवी जैन था. 1 मई 1957 को मुरैना में जन्म हुआ. 1974 में ब्रह्मचर्य व्रत लिया था.
आचार्यश्री सुमतिसागर जी से 5 नवंबर 1986 को क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की थी. 30 मार्च 1986 को महावीर जयंती के मुनि दीक्षा आचार्यश्री सुमतिसागर जी गुरुदेव से ली थी.
30 नवंबर 1986 को उन्हें उपाध्याय पद और 2013 बागपत बड़ागांव में आचार्य पद से अलंकृत हुए थे. 13 वर्ष की आयु में बाजार की वस्तु ना खाने नियम लिया था. उनके सानिध्य में अनेक पंचकल्याणक, वेदी प्रतिष्ठा संपन्न हुए. समाज के अनेक प्रतिभावान उनके सानिध्य में सन्मानित हुए. डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, सीए का संगठन बनाया उनके माध्यम से अनेकोबार विद्वत गोष्ठियों का आयोजन किया है. प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने आचार्यश्री ज्ञानसागरजी को विनयांजलि अर्पित की.