नागपूर– आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं, वस्तुएँ जल्दी और आसानी से प्राप्त करना संभव है। दिनभर हम उपभोक्ताओं के रूप में सामान और सेवाओं को सीधे या ऑनलाइन खरीद रहे हैं और इसके लिए पैसे गिन रहे हैं, लेकिन क्या मुल्य के बदले मे हमें उसका 100 प्रतिशत फायदा मिलता है? कही हम धोखा तो नही खा रहे? आज बाजार में हम अक्सर नकली सामानों, कम वजन, निम्न दर्जा, रासायनिक मिलावटी खाद्यपदार्थों, अनुचित व्यवहार, एमआरपी दाम से ज्यादा वसुली, शिक्षा, बैंकों, होटलों, यात्रा, चिकित्सा सेवा और कई अन्य क्षेत्रों में धोखाधड़ी की समस्याओं को देखते हैं, लेकिन एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में हम इसपर गहन विचार करते हैं? या सिर्फ थोडा देर रोष प्रकट कर आगे बढ जाते है? इस समस्या के शिकार केवल निरक्षर ही नही बल्कि उच्च शिक्षित वर्ग भी बड़ी मात्रा में धोखा खा रहे हैं और अब यह ऑनलाइन नेटवर्किंग के माध्यम से ज्यादा बढ़ गया है।
धोखा केवल आर्थिक स्वरूप का ही न होकर मानसिक और शारीरिक रूप मे भी है जो जीवन तबाह कर देता है, अर्थात मिलावटी रसायन से अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ जीवन के लिए गंभीर खतरनाक बीमारी का कारण बनते हैं, लेकिन विक्रेता अपने थोडेसे मुनाफे के लिए इस तथ्य की उपेक्षा करते हैं और उपभोक्ता को मृत्यु के काल मे भेजते है।
आज के विज्ञापन ग्राहक को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरीके के पैतरे आजमाते है, चाहे वह उत्पाद ग्राहक के लायक हो या न हो, लेकिन ऐसा दर्शाते है की इस उत्पाद के बगैर जिवन व्यर्थ है उपभोक्ता को ऐसे विज्ञापन के दिखावे पर न जाकर, उत्पाद खरीदते समय समझदारी से सोचना चाहिए।
उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून:-
उपभोक्ताओं को जागरूक होने की आवश्यकता है और यही कारण है कि सरकार ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विविध कानून बनाए हैं।
इसके अलावा, कई संगठन, परिषद, फोरम भी स्थानीय से अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए काम करते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987, भारतीय मानक ब्यूरो नियम, 1991, उपभोक्ता कल्याण निधि नियम, 1992, ग्राहक संरक्षण विनियम, 2005, उपभोक्ता संरक्षण विनियम, 2018, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 हैं। वस्तु खरीदते समय उसकी कीमत, उत्पाद निर्माण व समाप्ति की तारीख, नियम व शर्तें, उत्पाद मिश्र सामग्री, वजन और अन्य कारकों को ध्यान से देखें। जरूरी नही कि जो वस्तु सस्ती है वो दर्जेदार न हो और महंगी है तो अच्छी ही हो, इस तथ्य का सबसे अच्छा उदाहरण है जेनेरीक दवाईयाँ इसलिए सिर्फ कीमत पर ही उत्पाद की गुणवत्ता को ना आंके।
ग्राहकों को अपने अधिकारों को पहचानने की जरूरत:-
अक्सर उपभोक्ता धोखाधड़ी के मामले में अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होते हैं उपभोक्ता को पता नही होता कि कैसे और कहाँ से मदद लेनी है। जबकि सरकार द्वारा समय-समय पर ग्राहक जागरूकता अभियान चलाया जाता है। सरकार ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विभाग बनाए हैं। देश के प्रत्येक जिले में जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम हैं। राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग यह राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, जागो उपभोक्ता जागो, कॉन्फोनेट भारत सरकार के ऐसे विभाग हैं जो उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए काम करते हैं।
ग्राहक अपनी शिकायत ऑनलाइन भी दर्ज कर सकते हैं, टोल फ्री नंबर, हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल आईडी पर मदद मांग सकते हैं या वेबसाइट से समस्या संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। शिकायत करने के बाद आप अपनी शिकायत की स्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं और शिकायत दर्ज करना बहुत ही आसान है।
शिकायत के लिए संपर्क करें:-
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, केंद्र सरकार की वेबसाइट :- http://www.ncdrc.nic.in/ ईमेल आईडी :- ncdrc@nic.in संपर्क क्रमांक :- 01124608801. देश के सभी जिला स्तरीय उपभोक्ता मंचों की सूची :- http://www.ncdrc.nic.in/districtlist.html पर उपलब्ध है और जिससे आप अपने जिला फोरम से संपर्क कर सकते हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत) वेबसाइट http://nationalconsumerhelpline.in/ टोल फ्री नंबर :- 1800114000 या 14404 पर संपर्क करे, इसके अलावा मोबाइल ऐप्प और एसएमएस सेवा के माध्यम से भी संपर्क किया जा सकता है।
जागो ग्राहक जागो वेबसाइट :- http://www-jagograhakjago.com टोल फ्री नंबर :- 1800114424 और ईमेल आईडी :- jagograhakjagohelpline@gmail.com। कॉन्फोनेट (देश में उपभोक्ता मंचों का कम्प्यूटरीकरण और नेटवर्किंग) :- www.cms.nic.in यह ऑनलाइन वेबसाइट ग्राहक से संबंधित सभी मामलों की अद्यतन जानकारी प्रदान करती है।
शिकायत कहाँ दर्ज करें?
वस्तु या सेवाओं की किंमत और क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा।
•20 लाख तक रूपये तक संबंधित जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम।
•20 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग मे।
•100 लाख से अधिक राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग, दिल्ली।
यदि शिकायत का कारण बनता है, तो शिकायत दो साल के भीतर दर्ज की जानी चाहिए।
जहां भी शिकायत का कारण उत्पन्न होता है वहा या जहां विरूद्ध पक्ष व्यवसाय करते है या जहां उसकी शाखाएं स्थित है वहा के संबंधित शिकायत मंच, आयोग के पास शिकायत की जा सकती है।
शिकायत कैसे दर्ज करें?
शिकायत दर्ज करने और जवाब मे सुचना प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत सरल और तेज है।
आप अपनी लिखित शि कायत योग्य फोरम/आयोग को आवश्यक कागजात के साथ प्रत्यक्ष या डाक से भेज सकते हैं। शिकायतें राज्यीय भाषा/हिंदी/अंग्रेजी में से किसी भी भाषा में की जा सकती हैं। शिकायत करने के लिए वकील की मदद लेना भी आवश्यक नहीं है। अब तो, ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा सकती है।
उपभोक्ताओं को भारतीय मानक ब्यूरो, एगमार्क और आईएसओ प्रमाणित उत्पादों की खरीद करनी चाहिए। प्रमाणित उत्पाद एक तरह से सुरक्षा की गारंटी देते हैं, इसलिए यह लेने लायक है। आपको खरीद के समय सामानों के लिए पक्का बिल लेना चाहिए और लेन-देन के समय पुरा ध्यान रखना चाहिए। वस्तु खरीदी के समय ग्राहक को मोलभाव करने का पूर्ण अधिकार है।
क्या आप जानते हैं?
•आप किसी भी होटल में मुफ्त पेयजल या स्वच्छतागृह का उपयोग कर सकते हैं, भले ही आपने वहां से सेवाये न खरीदी हो।
•खुले पैसे न होने के नाम पर दुकानदार आपको चॉकलेट नहीं दे सकता। दुकानदार के पास मुद्रा का कोई अन्य विकल्प देने का अधिकार नहीं है।
•यदि कंपनी विज्ञापन में किए गए वादे का पालन करने में विफल हैं, तो आप न केवल एक कंपनी पर दावा कर सकते हैं, बल्कि आप उत्पाद का विज्ञापन करनेवाले व्यक्ति पर भी दावा कर सकते हैं।
•यदि अस्पताल कुछ सेवाओं के लिए आपसे भुगतान स्वीकार करता है, तो वे उन सेवाओं को प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
•पेट्रोल पंपों पर पीने का पानी, स्वच्छता सुविधाएं, वाहन के पहिए मे हवा की सुविधा, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, शिकायत हेतु शिकायत रजीस्टर, या शिकायत पेटी जैसी सुविधाये ग्राहको के लिये पूरी तरह से मुफ्त उपलब्ध होती हैं।
इस तरह, कई सेवाएं हर क्षेत्र में उपभोक्ताओं के अधिकार में हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण उपभोक्ता को पता नही चलता है।
सरकार की कई अच्छी नीतियां नागरिकों के लिए होती हैं, लेकिन वे समाज के हर तबके तक नहीं पहुंचती हैं, जिससे जरूरतमंद उन सुविधाओ से वंचित रह जाता है ग्राहक की छोटी सी अनदेखी भी व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल सकती है, इसलिये उपभोक्ताओं ने अपने अधिकारों के बारे में जागृक होना चाहिए तभी देश में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और कालाबाजारी पर लगाम लगेगी और देश मे विकास को गति मिलेगी।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
मोबाईल क्रं. 082374 17041
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