नागपुर: आम दिनों में हमेशा गुलज़ार रहने वाले बाज़ार ईतवारी में इन दिनों सन्नाटा पसरा है। 1 जुलाई से देश भर में लागू हुए जीएसटी को ग्राहक और व्यापारी फ़िलहाल समझने में ही लगे हुए है। जिसका नतीजा है की बाज़ार में व्यापर का सूखा पड़ा हुआ है। शुरुवाती दिनों में जीएसटी का असर सिर्फ़ व्यापारियों पर नहीं हो रहा है बल्कि इससे वह तपका सबसे ज्यादा प्रभावित है जो रोज़ कमाता और खाता है।
शहर के सभी बाजारों में मंदी की वजह से दिहाड़ी पर काम करने वाले मज़दूर,हमाल यहाँ तक की तीन पहिया वाहन चलने वाले लोग काम की आस में दिन भर इस दिनों बैठे ही रहते है। व्यापारी के पास व्यापार नहीं होने की वजह से बाज़ार को चलाने वाला चक्र ठप्प पड़ा है।
अकेले ईतवारी बाज़ार में करीब – करीब 1500 छोटी मालवाहक गाड़िया चलाने वाले मालिक और ड्राईवरों का काम बंद है। ढ़ाई हज़ार से ज़्यादा मजदूरों और हमालों पर तो रोज़ी रोटी की ही बन आयी है। 200 से 300 सौ रूपए दिन भर में कमाने वाले तपके के पास बीते 1 हफ़्ते से कोई काम नहीं है। व्यापारियों के मुताबिक यह जीएसटी का असर है जो आने वाले कुछ दिन और जारी रहेगा। यानि की साफ़ है की बाज़ार पर आश्रित हजारों लोगों के पास काम नहीं होने की वजह से उनकी जिंदगी की गाड़ी की रफ़्तार रुक गयी है।