Published On : Thu, Jan 4th, 2018

विद्यार्थियों को मदद कर मनपा स्कूलों में विद्यार्थी बढ़ाने की कवायद


नागपुर:
नागपुर महानगर पालिका की स्कूल की हालत किसी से भी छुपी नहीं है. अव्यवस्थाओ और सुविधाओ में छात्र पढ़ने को मजबूर हो रहे है. ऐसा ही हाल सुरेन्द्रगढ़ की हिंदी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल का भी है. यहाँ पर पहली से लेकर सातवीं तक की क्लास में करीब 244 विद्यार्थी है तो वही आठवीं से लेकर दसवीं तक 160 बच्चे है कुल मिलाकर यहाँ के विद्यार्थियों की संख्या 404 के करीब है. स्कूल में कुल मिलाकर 10 शिक्षक है. जिनमे से 5 शिक्षक स्थायी है और 5 शिक्षक अस्थायी है. इन शिक्षकों को इन विद्यार्थियों को पढ़ाने का जिम्मा दिया गया है. अगर नियमों की बात करे तो 35 विद्यार्थियों के लिए एक शिक्षक होना चाहिए लेकिन यहाँ करीब 40 विद्यार्थियों के लिए एक शिक्षक है. विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से भी करीब 10 शिक्षक परमानेंट चाहिए थे. लेकिन पांच ही शिक्षक परमानेंट है. स्कूल में दो चपरासी और एक चौकीदार है. जबकि सफाई मनपा के कर्मी करते है. माध्यमिक स्कूल की प्रिंसिपल भी यहाँ विद्यार्थियों को पढ़ाती है. जबकि निजी स्कूलों में प्रिंसिपल का काम केवल अपने कार्यालय में बैठकर स्कूल प्रबंधन पर ध्यान देने का काम होता है. स्कूल की इमारत को काफी साल हो चुके है. जिसके कारण इमारत में दरारे पड़ चुकी है. शौचालय की हालत काफी खराब दिखाई दी. गेट के बाहर प्रांगण में ही मवेशियों का जमावड़ा बैठा हुआ दिखाई दिया.

विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं और व्यवस्था
इस स्कूल में विद्यार्थियों के लिए काफी सुविधाएं देने की बात शिक्षकों की ओर से की गयी है. स्कूल में निचे प्राथमिक की क्लासेस होती है. जहां के शौचालयों की हालत काफी खराब है. शौचालयों के दरवाजे निचे से टूट चुके है. अंदर से भी शौचालय में काफी गन्दगी देखने को मिली. जहां पर विद्यार्थियों के लिए पिने के पानी की व्यवस्था की गयी है. वह बिलकुल शौचालय के सामने है. नल के पास भी खाना बिखरा हुआ दिखाई दिया. नल के पास पड़ा हुआ खाना भी साफ़ नहीं किया गया था. स्कूल के चपरासी ने बताया की सफाईकर्मचारी के नहीं आने की वजह से गन्दगी दिखाई दे रही है. ऊपर के माले पर माध्यमिक की क्लास शुरू रहती है. यहाँ पर इन विद्यार्थियों के लिए शौचालय ठीक ठाक है. लेकिन छत की इमारत कमजोर होने की वजह से ज्यादा विद्यार्थियों को वहां जाने नहीं दिया जाता. जबकि वही पर शौचालय है. हालांकि क्लास के अंदर टेबल कुर्सियां काफी अच्छी व्यवस्था में दिखाई दी. यहाँ पर लैब तो ठीक ठाक है. लेकिन साफ़ सफाई के अभाव में सामान बिखरा पड़ा हुआ है. एक रूम है जिसमे कंप्यूटर रखे हुए थे. 10 से 12 कंप्यूटर रखे गए है. प्रिंसिपल का कहना था की विद्यार्थियों को कंप्यूटर सिखाया जाता है.

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प्रिंसिपल करती है विद्यार्थियों को मदद
नागपुर महानगर पालिका की स्कूलों में विद्यार्थियों को लाना और उन्हें यहाँ पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि वह दूसरी स्कूलों में न जाए. इस उद्देश्य के लिए मनपा की स्कूलों के शिक्षक अपने पैसो से ही विद्यार्थियों की मदद करते है. प्रिंसिपल की ओर से 10वी के विद्यार्थियों को 21 कि डाइजेस्ट दी गयी है. प्रिंसिपल और स्कूल के शिक्षकों की ओर से ही आठवीं से लेकर दसवीं तक के विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप के फॉर्म भी भरे गए है. और 2 हजार रुपए खुद खर्च किये गए. विद्यार्थियों को प्रिंसिपल और शिक्षकों की सहायता से ही 15 दिनों का कंप्यूटर कोर्स के साथ सर्टिफिकेट भी दिया गया.

दसवीं के विद्यार्थियों का कोर्स पूरा हो चूका है. स्कूल के शिक्षकों और प्रिंसिपल की ओर से ही विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए स्टेशनरी भी दी जाती है.

क्या कहती है स्कूल की प्रिंसिपल
माध्यमिक स्कूल की प्रिंसिपल शिला अथीलकर का कहना है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसका पूरा ध्यान दिया जाता है. आठवीं से ही दसवीं की परीक्षा की तैयारियां शुरू की जाती है. शिक्षकों का उद्देश रहता है की विद्यार्थी पहली बार में ही दसवीं पास करे. दसवीं की परीक्षा के लिए अभी समय है लेकिन कोर्स पूरा हो चूका है. उन्होंने बताया की सभी विषयो के लिए अलग अलग शिक्षक है. विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी मदद की जाती है.







—शमानंद तायडे

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