नागपुर. जिला परिषद की ओर से पेयजल योजना के लिए जारी किए गए टेंडर के बाद निधि का भुगतान नहीं होने पर याचिकाकर्ता रोशन पाटिल की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलिलों के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि नापजोक पुस्तिका में की गई एन्ट्री की सत्यता के बारे में तथ्यों के विवादित प्रश्न शामिल हैं. जिन्हें साक्ष्य और जिरह की कसौटी पर परखा जाना आवश्यक होगा. यह केवल दीवानी मुकदमे में ही किया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कार्य करने वाले इस न्यायालय के समक्ष यह नहीं किया जा सकता है. अत: याचिका खारिज करने के आदेश जारी किए. उल्लेखनीय है कि योजना के अनुसार जिले के कलमेश्वर तहसील के गोंडखैरी गांव के निवासियों को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना था. जलापूर्ति का काम 20 दिसंबर 2017 के कार्य आदेश के अनुसार आवंटित किया गया था, यह कार्य 18 महीने के भीतर 19 जून 2019 तक पूरा किया जाना था. काम पूरा नहीं होने के कारण छह महीने की अतिरिक्त अवधि प्रदान की गई थी. लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए अधूरा कार्य अन्य ठेकेदार से कराने की जानकारी विभाग की ओर से उजागर की गई थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील का मानना था कि पर्याप्त कार्य पूरा हो जाने के बावजूद और एनआईटी के अध्याय 8 के तहत अनुबंध की शर्तों के खंड 10 के अनुसार, हालांकि ठेकेदार द्वारा प्रत्येक महीने बिल प्रस्तुत किया जाना था. जिसे प्रभारी अभियंता द्वारा नापजोक को सत्यापित करना था. बिल को प्रस्तुति से 10 दिनों के भीतर मंजूरी देनी थी, ऐसा नहीं किया गया है. याचिकाकर्ताओं को समय पर भुगतान नहीं किया गया है. शर्तों में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि ठेकेदार द्वारा बिल प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो प्रभारी इंजीनियर को स्वयं नापजोक करवाना होगा और बिल तैयार करना होगा. जो ठेकेदार के लिए बाध्यकारी होगा, लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया है. चूंकि याचिकाकर्ताओं को समय पर भुगतान न किए जाने के कारण, ठेकेदार से काम पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दो चालू बिलों का भुगतान करने के बाद 5842 मीटर के अतिरिक्त 1400 मीटर की राइजिंग मेन का अतिरिक्त कार्य, नल कनेक्शनों की संख्या 460 और 310 मिलाकर 770 तक बढ़ाना, वितरण लाइनों की संख्या 8445 और 900 से बढ़ाना आदि के कारण अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा है. गत सुनवाई के दौरान जिला परिषद की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत सत्यनाथन ने कहा कि जिस जलापूर्ति योजना के तहत प्रश्नगत कार्य किया जा रहा है, वह दिसंबर 2023 से बंद हो गई है. यहीं कारण रहा कि योजना के तहत अबतक जो कार्य किया गया, उसकी शेष राशी के भुगतान में कठिनाई हो रही थी.