सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI) ने कहा कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र पर निर्भर करता है. केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.
बता दें कि कई देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता है, तो कई देशों में इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है. भारत में समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाया था.
समलैंगिक जोड़े के के खिलाफ FIR दर्ज करने से…
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है, जो सदियों से जानी जाती है, इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है.
“जीवन साथी चुनना किसी के जीवन की दिशा चुनने का एक अभिन्न अंग”
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जीवन साथी चुनना किसी के जीवन की दिशा चुनने का एक अभिन्न अंग है. कुछ लोग इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय मान सकते हैं. यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की जड़ तक जाता है. स्वतंत्रता का अर्थ है वह बनने की क्षमता जो कोई व्यक्ति बनना चाहता है.
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों के बैक खाते, पेशन, बीमा आदि पर विचार करने को कहा
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने से इनकार किया और जस्टिस संजय किशन कौल ने भी CJI का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कहा ये संसद के अधिकार क्षेत्र पर निर्भर करता है. समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है. केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. केंद्र की कमेटी बनाने की सलाह मानी. बैक खाते, पेशन, बीमा आदि पर विचार करने को कहा.
समलैंगिकों के लिए कमेटी बनाई जाए- CJI
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा कि समलैंगिकों के लिए कमेटी बनाई जाए. समिति निम्नलिखित पर विचार करेगी.
– राशन कार्डों में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करना.
– समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खाते के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाना.
– पेंशन, ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकार.