– कहां जाते हैं 10 करोड़ की गिरावट ?
नागपुर – नागपुर महानगरपालिका के उद्यान विभाग ने मानसून के दौरान तूफान के कारण पेड़ों की कटाई और पेड़ों की कटाई के कचरे को उठाने के लिए 10 जोनों में 10 ठेकेदार नियुक्त किए हैं. लेकिन इनमें से कोई भी ठेकेदार आज तक काम करते नजर नहीं आया। ऐसे में सवाल उठता है कि इन ठेकेदारों पर हर साल खर्च किए गए 10 करोड़ रुपए कहां जाते हैं ?
शहर में पेड़ की टहनियां और गीली घास गिरती है तो नगरसेवक सीधे कूड़ा उठाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को बुलाते हैं. वे चुपचाप काम करते हैं ताकि किसी को ठेस न पहुंचे। अधिकांश पार्षदों और अधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि गिरे हुए पेड़ों और शाखाओं को लेने के लिए स्वतंत्र ठेकेदारों को नियुक्त किया गया है।
हालांकि, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत हाल ही में मांगी गई जानकारी से पता चलता है कि जोनल विभाग ने हर साल इस उद्देश्य के लिए स्वतंत्र जोनल ठेकेदार नियुक्त किए हैं। इन ठेकेदारों को हर साल एक करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। ऐसे कुल 10 ठेकेदार हैं।
इनमें से कोई भी ठेकेदार आज तक काम करता नजर नहीं आया। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि इससे प्राप्त राशि को उद्यान विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार के बीच बांटा जा रहा है ?
मनपा में उद्यान विभाग का महत्त्व न के बराबर है। इस विभाग के अधिकारी कई बैठकों में भाग नहीं लेते हैं। इस सेक्शन पर किसी का ज्यादा ध्यान नहीं है। इसलिए इस विभाग को मनपा में एक आरामदायक नौकरी माना जाता है। बगीचों का रखरखाव और मरम्मत, पेड़ों की सफाई इस विभाग के प्रमुख कार्य हैं।इसके अलावा पार्क के लिए आवश्यक खरीद, पार्क के निर्माण की योजना और इसी तरह के अन्य कार्य किए जाते हैं। जाहिर तौर पर उद्यान विभाग की ज्यादा चर्चा नहीं होती, लेकिन राजस्व के मामले में यह सामने आ गया है।
शहर में नए भवनों के निर्माण, परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटने के लिए इस विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। जितने पेड़ काटे जाएंगे, उससे दुगुने पेड़ लगाने होंगे। अग्रिम राशि उद्यान विभाग के पास जमा करनी होगी। यह प्रस्ताव उद्यान समिति की बैठक में रखा जाना है। इसके बाद ही पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। उसके पूर्व उद्यान विभाग द्वारा उद्यान का निरीक्षण कर वृक्षों की गणना की जाती है। इस विभाग में बड़ी धांधली होती रहती,जिसका खुलासा सार्वजानिक नहीं होने से मनपा को नियमित चुना लग रहा हैं.